जंगली धूप और
मरघटी रातों मे
अनजान गलियों की ,
सुनसान सड़कों पर
अकेले चलते हुए
मैंने देखा -
हर मोड़ पर कर रहे थे
मेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
मरघटी रातों मे
अनजान गलियों की ,
सुनसान सड़कों पर
अकेले चलते हुए
मैंने देखा -
हर मोड़ पर कर रहे थे
मेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
हर मोड़ पर कर रहे थे
ReplyDeleteमेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
Badhiya:-)
इंतजार में भी एक अहसास है....भावमयी...
ReplyDeleteसमय तो भाग रहा है ... साथ ही हमें जगा रहा है
ReplyDeleteबेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
हर मोड़ पर वक़्त संभावनाओं की पोटली भी पकड़ता जाता है...!
ReplyDeletebahut khoob.
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteवक़्त के पहरेदार यानि आशा, शक्ति, जिजीविषा .... यही तो है वो साथ , जो डरने से हारने से रोकता है
ReplyDeleteहर मोड़ पर कर रहे थे
ReplyDeleteमेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
बहुत सुन्दर भाव... इंतजार करते वक़्त के पहरेदार...
बहुत सुन्दर सृजन!
ReplyDeleteगहरे भाव....
ReplyDeleteहर मोड़ पर कर रहे थे
ReplyDeleteमेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
वाह !!! बहुत खूब
छोटी किन्तु शानदार पोस्ट वक़्त के पहरेदार......वाह |
ReplyDeleteवक्त के पहरेदार से मुलाकात अच्छी रही.. धूप हो या रात वक्त अनवरत हमें सँग लिये जाता है..
ReplyDeleteबहुत अच्छी तरह से वक़्त को शब्दों में बयान किया है ।
ReplyDeleteअपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता
उम्दा रचना
ReplyDeleteउम्दा रचना
ReplyDeleteहर मोड़ पर कर रहे थे
ReplyDeleteमेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
बहुत सुन्दर
बहुत खूब ... वक्त तो इंतज़ार करता है पर साथ भी जल्दी छोड़ जाता है अगर कोई साथ न चले तो ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर यशवंत जी
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ...।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बेहद पसंद आई! इसलिए आपको बधाई और शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआपका हमारे ब्लॉग
http://tv100news4u.blogspot.com/
पर हार्दिक स्वागत है!
bhaut hi umda sir ji.....
ReplyDeleteBahut khub !
ReplyDeleteहर मोड़ पर कर रहे थे
ReplyDeleteमेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
....कि नए और अनुकरणीय पद चिन्ह देखने को मिलेंगे ....बधाई यशवंत जी
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...
ReplyDeleteYour thoughts are reflection of mass people. We invite you to write on our National News Portal. email us
ReplyDeleteEmail us : editor@spiritofjournalism.com,
Website : www.spiritofjournalism.com
वक्त के पहरेदारों को केवल इंतज़ार करना आता और रचनाकार उनके इंतज़ार की भी परवाह नहीं करता. प्यारी कविता.
ReplyDeletebahut sundar rachnaa....
ReplyDeletesaadar badhai.
बहत बढ़िया ...बधाई
ReplyDeleteहर मोड़ पर कर रहे थे
ReplyDeleteमेरा इंतज़ार
वक़्त के
अदृश्य पहरेदार!
Badee kamaal kee rachana!
jangli dhoop se bachkar shaleen chhanv me bhi chaloge to ye pahredaar peechha nahi chhodenge. gahe-bagahe mil hi jayenge.
ReplyDeletesunder abhivyakti.
सुन्दर रचना
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteछोटी बात = गहरी बात
ReplyDeleteइसलिए,प्रति पल को उसकी संपूर्णता में जीना ही उपाय।
ReplyDeleteयशवंत ...बहुत बहुत ही सुन्दर लिखा है ....
ReplyDeleteयशवंत ..बहुत बहुत ही सुन्दर लिखा है ...
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteअदृश्य पहरेदार!
ReplyDeleteAwesome imagery !!
Simply loved it :)
बहत बढ़िया.
ReplyDeleteसुंदर कविता, बधाई। कविमन को वेग लेते देख अच्छा लग रहा है।
ReplyDelete