बहुत से ख्याल हमारे मन मे अक्सर आते हैं । यह पंक्तियाँ एक कोशिश है उन लोगों के मन की बात कहने की जो सोचते तो बहुत कुछ हैं और कहते भी हैं पर लिखते नहीं है। अरे आप कोशिश तो कीजिये अपने मन की बातों को शब्द देने की कहीं न कहीं कोई न कोई आपकी बातें ज़रूर पसंद करेगा।
अजीब से ख्याल
कभी सोते मे
सपनों के सतरंगी समुंदर मे
कभी कुछ कहते हुए
कभी कुछ सुनते हुए
किसी को हँसते देख कर
गम से रोते देख कर
कलियों को खिलते देख कर
मुरझाए फूलों को देख कर
हँसते शिशुओं को देख कर
सड़क पर चलते हुए
हवा मे उड़ते हुए
कहीं काम पर पसीना बहाते
मजदूरों को देख कर
शीत लहरी मे ठिठुरते हुए
मांस के पुतलों को देख कर
और न जाने कब कब
वक़्त बे वक़्त
कुछ ख्याल
अक्सर मन मे आते हैं
ख्याल मन मे आते हैं
कि कुछ कहूँ
किसी से बातें करूँ
उन ख्यालों को बयां करूँ
आस पास कुछ लोग हैं -
डरता हूँ मेरे अजीब से
ख्यालों को सुन कर
वो हँस न दें
कर न दें शर्मिंदा
पर आखिर मैं क्यों चुप रहूँ
क्यों न कहूँ अपने मन की
जो अब तक दबी हुई है
कहीं किसी कोने मे
मन अकुला रहा है
जैसे जाल मे फंस कर
कोई पंछी तड्फड़ा रहा हो
मुक्ति पाने को
पर ये ख्याल
ये ख्याल सच मे
बहुत अजीब होते हैं
इन ख्यालों को
लिख देना चाहता हूँ
कह देना चाहता हूँ
उन से
जो इन ख्यालों का
ख्याल रखते हों :)
दिल से !
अजीब से ख्याल
कभी सोते मे
सपनों के सतरंगी समुंदर मे
कभी कुछ कहते हुए
कभी कुछ सुनते हुए
किसी को हँसते देख कर
गम से रोते देख कर
कलियों को खिलते देख कर
मुरझाए फूलों को देख कर
हँसते शिशुओं को देख कर
सड़क पर चलते हुए
हवा मे उड़ते हुए
कहीं काम पर पसीना बहाते
मजदूरों को देख कर
शीत लहरी मे ठिठुरते हुए
मांस के पुतलों को देख कर
और न जाने कब कब
वक़्त बे वक़्त
कुछ ख्याल
अक्सर मन मे आते हैं
ख्याल मन मे आते हैं
कि कुछ कहूँ
किसी से बातें करूँ
उन ख्यालों को बयां करूँ
आस पास कुछ लोग हैं -
डरता हूँ मेरे अजीब से
ख्यालों को सुन कर
वो हँस न दें
कर न दें शर्मिंदा
पर आखिर मैं क्यों चुप रहूँ
क्यों न कहूँ अपने मन की
जो अब तक दबी हुई है
कहीं किसी कोने मे
मन अकुला रहा है
जैसे जाल मे फंस कर
कोई पंछी तड्फड़ा रहा हो
मुक्ति पाने को
पर ये ख्याल
ये ख्याल सच मे
बहुत अजीब होते हैं
इन ख्यालों को
लिख देना चाहता हूँ
कह देना चाहता हूँ
उन से
जो इन ख्यालों का
ख्याल रखते हों :)
दिल से !
अजीब से ख्याल ........ कितनी सही बात कही है आपने यशवंत जी , कितने ही ख्यालों को कागज पर उतारने से , किसी के साथ बांटने में डरते हैं हम.... बहुत ही सुन्दर विचाराभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत ख्याल है...... और रचना है....
ReplyDeleteपर ये ख्याल
ReplyDeleteये ख्याल सच मे
बहुत अजीब होते हैं
इन ख्यालों को
लिख देना चाहता हूँ
कह देना चाहता हूँ
उन से
जो इन ख्यालों का
ख्याल रखते हों :)
दिल से !
बेहद खूबसूरती से आपने ख्यालों का ख्याल रख कर उन्हें शब्द दिए ....बहुत खूब ......
ख्याल बाँटने में मज़ा ही कुछ और है सही बात .....
ReplyDeleteBadhiya khayal....
ReplyDeleteअपने सुन्दर ख्याल को बहुत खूबी से बाँटा है.....
ReplyDeleteतो कह दीजिये, क्यूंकि हम उनमें से हैं, जो ख़यालों का ख्याल रखते है वो भी दिल से :-)
ReplyDeletemanibhavon ko sundarta ke sath prastut liya hai .aabhar
ReplyDeletesundar v gahan bhavon ki sarthak prastuti .badhai
ReplyDeleteये ख्याल भी अच्छा है...बहुत खुबसूरत..
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की खबर हमने ली है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सूरा सो पहचानिए ... जो लड़े दीन के हित ... - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteकितने अच्छे शब्दों से समझाया है आपने।
ReplyDeleteबहुत अच्छे ख्याल है..
ReplyDeleteदुनिया में कई ऐसी चीजे है जिनके बारे में हम अपने
नजरिये से सोचते है ...और उन्हें सबके साथ बाटने पर
और भी ज्ञान मिलेगा ...जो सही है
और मन को अच्छा भी लगेगा.
बहुत ही बेहतरीन पोस्ट है...
यशवंत जी,
ReplyDeleteबड़े खुबशुरत ख्यालातों से सजाई है रचना मुझे बहुत पसंद आई,बधाई...मेरे नए पोस्ट स्वागत है,
आपका यह अजीब सा ख्याल हमें बहुत कुछ सोचने पर मज़बूर करता है।
ReplyDeleteपर ये ख्याल
ReplyDeleteये ख्याल सच मे
बहुत अजीब होते हैं
इन ख्यालों को
लिख देना चाहता हूँ
कह देना चाहता हूँ
उन से
जो इन ख्यालों का
ख्याल रखते हों :)
सुन्दर भाव ..........
ख्यालों का ख्याल रखने वाले लोग मिल ही जाते हैं...!
ReplyDeleteलिखते रहें मन से... मन की बातें!
शुभकामनाएं!
सच है कहा सुना भी उन्हीं से जा सकता है जो हमारे ख्यालों का मान रखें ...... सुंदर ख्याल लिए रचना
ReplyDeleteकोई तो होता ही है जो ख्यालों को अर्थ दे जाये ...
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ...।
ReplyDeleteमन की कशमकश का नया रूप ...बहुत खूब
ReplyDeleteसही कहा आपने.....पर हर किसो को भावनाओ को शब्दों में बांधना नहीं आता......और कुछ लोग सिर्फ शब्दों की जादूगरी ही जानते हैं उनमे भावनाए लेशमात्र भी नहीं.....पर आपकी बात सही है कोशिश ज़रूर करनी चाहिए|
ReplyDeleteबेजोड़ रचना
ReplyDeleteबधाई
नीरज
आपने बहुत से खयालो का अच्छा और सटीक चित्रण किया है
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteसादर.
बहुत खूब.
ReplyDeleteख्यालों को बहुत ख़ूबसूरती से ब्यान किया है आपने.
अपनी बात कह देने का सुख अलग ही है
ReplyDeleteख़याल ऐसे ही होते हैं ..अजीब से आ जाते हैं मन में ... मन की कश्मकश को बखूबी लिखा है ..
ReplyDeleteसही कहा यशवंत ...कितनी बार मन में ऐसे ख्याल आतें है पर उन्हें व्यक्त नहीं कर पाते हैं हम ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ... background music भी बहुत अच्छा लगा " एक प्यार का नग्मा है .. "
ReplyDeleteप्रत्येक लेखक के मन की बात है ...आप ज़रूर लिखें और अपने विचार साझा करें ...शुभकामनायें आपको ...
ReplyDeleteख्यालों में बहते ख्याल.....बहा ले जा रहे हैं.
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteख़यालों का ख्याल ..:)
ReplyDeletekhayalon ko keh de,
ReplyDeleteyahi accha hota hain.
apne shabd rupi jharne se,
khayalon ko bahne do.
kuch to log iske paas aayenge,
khayalon ke is tarangit jal se,
apne ko bheegote jaayenge.