आज प्रस्तुत हैं मम्मी की लिखी दो नयी कविताएं --
अनजाना
पुराना था एक सपना
उसमे झलका अपना
कब होगा उसका आना
कब होगा मेरा जाना
आयेगा एक मस्ताना
उसको बना देगा दीवाना
यह है उसका अफसाना
कौन है वह अनजाना
*
पार
बढ़ना था
चढ़ना था
गिरना था
उठना था
प्यार था
झगड़ा था
सबेरा था
साँझ था
हौसला था
घोंसला था
भूत था
वर्तमान था
भविष्य था
मझधार था
उतरना था
नाव था
माझी था
फासला था
दूर था
जाना था
पार ।
(श्रीमती पूनम माथुर ) |
पुराना था एक सपना
उसमे झलका अपना
कब होगा उसका आना
कब होगा मेरा जाना
आयेगा एक मस्ताना
उसको बना देगा दीवाना
यह है उसका अफसाना
कौन है वह अनजाना
*
पार
बढ़ना था
चढ़ना था
गिरना था
उठना था
प्यार था
झगड़ा था
सबेरा था
साँझ था
हौसला था
घोंसला था
भूत था
वर्तमान था
भविष्य था
मझधार था
उतरना था
नाव था
माझी था
फासला था
दूर था
जाना था
पार ।
दोनों रचनाएँ बहुत बढ़िया लगीं .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
बेहतरीन रचनाएं ...आभार ।
ReplyDeleteपूनम जी को पढ़ना भी अच्छा लगा ...:)
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ अपनी बात को पूरी तरह संप्रेषित करती हैं. सुंदर सृजन.
ReplyDeleteदोनों कविताएँ आपनी बात को पूरी तरह संप्रेषित करती हैं. सुंदर सृजन.
ReplyDeleteबहुत सुंदर..दोनों रचनाएँ बहुत बढ़िया लगीं ....आभार..
ReplyDeleteBAHUT SUNDAR BHAVABHIVYAKTIYAN .AABHAR
ReplyDeleteकवितायेँ अच्छी है.....दूसरी कुछ अलग सी है |
ReplyDeleteप्रस्तुति इक सुन्दर दिखी, ले आया इस मंच |
ReplyDeleteबाँच टिप्पणी कीजिये, प्यारे पाठक पञ्च ||
cahrchamanch.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteदोनों ही रचनाएँ काफी अच्छी लगी .....
ReplyDeleteआंटीजी तो बहुत ही सुन्दर लिखती हैं
great...
ReplyDeletekitne kam shabdon mei Aunty ji ne kitna kuch kah diya... ise hi kala kahte hain...
awesome...
thank you so much for sharing...
poonam mam ki
ReplyDeleteदोनों ही रचनाये बहुत ही सुन्दर है..
दोनों रचनायें सुन्दर है!
ReplyDeleteपूनम जी को शुभकामनाएं!
सादर!
दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर...आभार
ReplyDeleteसरल और सपाट शब्दों में पिरोई रचना..................
ReplyDelete...........अब मैं समझी बच्चे सवा सेर होते हैं
bhut hi achhi racanaye hai
ReplyDeleteरचना का प्रवाह रोचक है। इसके भाव भी।
ReplyDeletelovely creation!
ReplyDeleteदूर पार जाने को माझी और नाव थे ही ...
ReplyDeleteअच्छी कवितायेँ !
उत्तम रचनाएं...
ReplyDeleteसादर आभार...
दोनों ही सृजन बहुत उत्तम हैं.
ReplyDeleteSunder saral rachnaen achchi lagin.
ReplyDeleteआपसे निवेदन है इस पोस्ट पर आकर
ReplyDeleteअपनी राय अवश्य दें -
http://cartoondhamaka.blogspot.com/2011/12/blog-post_420.html#links
कल शनिवार ... 03/12/2011को आपकी कोई पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.com> नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद
दोनों रचनाएँ बहुत ही सुन्दर है |आभार |
ReplyDeleteयशवंत भाई ,
ReplyDeleteदोनों ही कविताएं बहुत अच्छी बन पढ़ी है , लेकिन दूसरी कविता बने बहुत दिल को छुआ . जिंदगी की जिद को दर्शाया है .
बधाई !!
आभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
Dono kavitayen bahut hi sunder. Ek se badhkar ek.
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
इस सुंदर रचना के लिये पूनम जी को बधाई,...बेहतरीन पोस्ट,..
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट -जूठन- में आपका इंतजार है ..
वाह बेहद खूबसूरत रचना. आभार.
ReplyDeleteआप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeletesunder rachnayen, ma ko pranaam.
ReplyDeleteshubhkamnayen
dono rachanyen bahut acchee hain.
ReplyDeleteDusri kavita ..gagar mei sagar ' hai!
har pankti gahan arth liye hai.
badhaayee
dono rachnayein bahut bahut acchi.....Anti ji ki itni acchi kavita padhane kay liye shukriya
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर!
ReplyDeleteमम्मी भी आपको धन्यवाद कह रही हैं।
अत्यंत मार्मिक एवं दार्शनिक कविताएं । माँ जी को नमन । सुधाकर अदीब ।
ReplyDeleteप्रियवर , आपकी कविताओं में आप द्वारा कम शब्दों का प्रयोग कर भावों संवेदनाओं और बिंबों को पकड़ने की शैली मुझे बहुत सुखद लगी । आप ऐसे ही आगे बढ़ते रहिए और अपनी नयी राह बनाइये । मेरी अनंत शुभकामनाएँ । यह गुण लगता है आपको अपनी विदुषी माँ जी से मिला है । उन्हें मेरा पुनः प्रणाम । सुधाकर अदीब ।
ReplyDelete2012/11/25 Disqus
आदरणीय सर!
ReplyDeleteअपना आशीर्वाद यूं ही बनाए रखें।
सादर