जिंदगी के मेलों में, मैं देख रहा हूँ तमाशे
कहीं ठेलों पर बिकती चाट, और कहीं पानी बताशे *
खट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
जलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं
पीना है फिर जीना है,जी जी का जंजाल हुआ
इससे पहले कभी न जाना ,लंगोटिया और कंगाल हुआ
जीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
सबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है।
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*गोलगप्पे
कहीं ठेलों पर बिकती चाट, और कहीं पानी बताशे *
खट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
जलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं
पीना है फिर जीना है,जी जी का जंजाल हुआ
इससे पहले कभी न जाना ,लंगोटिया और कंगाल हुआ
जीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
सबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है।
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*गोलगप्पे
बहुत ही बढ़िया ...
ReplyDeleteजीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
सबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है।
वाह...
ReplyDeleteवाकई जिंदगी होती बड़ी अजीब है...
अच्छी रचना.
खट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
ReplyDeleteजलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं
behatreen...
"सबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है। "
ReplyDeleteबहुत खूब !
ऐसा ही है दुनिया का मेला ...
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
जिन्दगी की शानदार व्याख्या की है आपने .
ReplyDeleteजीवन की सुंदर अभिव्यक्ति अच्छी पोस्ट,.....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
Very very Nice post our team like it thanks for sharing
ReplyDeleteखट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
ReplyDeleteजलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...शुभकामनाएं
यशवंत भाई ये चाट के साथ पानी बताशे वाली बात जबर्दस्त रही, बधाई।
ReplyDeleteजीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
ReplyDeleteसबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है।
वाह , सुंदर
गम मीठे लगते हैं...
ReplyDeleteआजकल ऐसा ही कुछ चल रहा है हमारे मन में भी!
इससे पहले कभी न जाना ,लंगोटिया और कंगाल हुआ
ReplyDeletebahut khub...
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteजीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
सबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है।
rochak... :-)magar ismen bhi bahut gahre bhav chupe hain badhiya post badhai
ReplyDeleteखट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
ReplyDeleteजलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं
aisa bhi hota hai ..sundar !
अतिसुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर यशवंत जी
ReplyDeleteकभी खट्टी, कभी मीठी कभी तीखा शरबत है, लेकिन पीना है और जीना है...बड़ी अजीब है जिंदगी... सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुती जी ...जीवन का सटीक वर्णन
ReplyDeleteIntresting...........Paani ke batashe se Lucknow ke char paani rakhne wale ki yaad taza ho gayi.....ymmmm paani aa raha hai muh me.
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteकल 21/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, मेरी नज़र से चलिये इस सफ़र पर ...
धन्यवाद!
जीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
ReplyDeleteसबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है। .....bahut hi behtreen aur dil chhu lene wali rachna...
खट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
ReplyDeleteजलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं
वाह ...बहुत खूब लिखा है आपने
आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
पीना है फिर जीना है,जी जी का जंजाल हुआ
ReplyDeleteइससे पहले कभी न जाना ,लंगोटिया और कंगाल हुआ
...वाह! सटीक बात कही आपने... काश नासमझ यह बात समझ लेते तो कई घर बर्बादी से बचे रहते..
सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ..
kafi achchha likha hai......
ReplyDeletesundar...
ReplyDeleteजीवन की इन रेलों में ,बड़े अजीब से मेलों में
ReplyDeleteसबको हँसते देखा है,जब जोकर भी रो देता है।
बहुत सुंदर !!
waah...jindagi ka har swaad aa gaya
ReplyDeleteखट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
ReplyDeleteजलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं ...
ये जीवन यही तो है ... कहीं धूप तो कहीं छाँव भी तो है ...
खट्टा सा है स्वाद खुशी का ,कहीं गम मीठे लगते हैं
ReplyDeleteजलजीरे मे कभी मिठास, कभी शर्बत तीखे लगते हैं
बहुत खूबसूरत और सटीक लिखा है
भाई ...... कभी कभी ऐसा लगता है जिंदगी को नासमझ बनकर जियो उसी में भला है !
ReplyDeleteभाई यशवंत जी बहुत अच्छी कविता बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteजिंदगी के मेले से जोकर के दर्शन तक हर तरह का जायका मिल गया.
ReplyDeleteबहुत खूब जी.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ...
वाह ! जीवन को नए अंदाज से खंगालती हुई रचना !
ReplyDeleteसुन्दर रचना जी
ReplyDeletebahut aachha likha hai, jeevan ka satya..
ReplyDeleteshubhkamnayen
zindagi ka mela hamesha chalta rehta hai !!
ReplyDeleteawesome writing as ever yash.. always a delight to read u :)
Loved the welcome audio message u put on this website :)
HAppy New YEar in advance..
have lots of fun in the year ahead!!!
लो जी यशवंत जी...
ReplyDeleteआपने बुलाया और हम आपके ब्लॉग पर आ गए.....!!
काफी प्रभावी लेखनी है आपकी!
दिल को छु गई...
अच्छा लगा!
कल 24/12/2011को आपकी कोई पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत सुंदर
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