यह कविता 13 दिसंबर 2006 को आगरा के सर्द मौसम मे धूप का आनंद लेते हुए अपनी डायरी में लिखी थी । एक बार पहले भी इसी ब्लॉग पर प्रस्तुत कर चुका हूँ आज पुनः प्रस्तुत है--
इस बसंत के मौसम में क्यों
इस बसंत के मौसम में क्यों
पतझड़ जैसा लगता है,
और मिलन की ख़ुशी मनाते,
हम को विरहा सा लगता है
इस बसंत के मौसम में क्यों
पतझड़ जैसा लगता है
किसी डाल पर कोयल गाती,
स्वप्नों के रंगीले गीत,
हम को भी सुन सुन कुछ होता,
पर कपोत न दीखता है
इस बसंत के मौसम में क्यों
पतझड़ जैसा लगता है
दूर हुआ मनमीत मगर,
क्यूँ न यादों से हटता है,
आँखों से झर झर झर आंसू,
सागर सूखा सा लगता है
इस बसंत के मौसम में क्यों
पतझड़ जैसा लगता है.
आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
sunder rachna...
ReplyDeleteclearifies the real situation
बहुत अच्छी रचना,
ReplyDeleteसच है जब हृदय पीड़ित हो तो बसंत भी पतझड़ ही लगता है.
शुभकामनायें
आँखों से झर झर झर आंसू,
ReplyDeleteसागर सूखा सा लगता है...
गहरे भाव... बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जब मन उल्लासित नहीं तो कैसा बसंत ....सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर विरह गीत...
ReplyDeleteआपको भी वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 28/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अच्छी रचना,..
ReplyDeleteNEW POST --26 जनवरी आया है....
इस बसंत के मौसम में क्यों ,
ReplyDeleteपतझड़ जैसा लगता है.... ?
पतझड़ के बाद बसंत आता है....:)
ये तो वही बात हो गई , सावन के अंधे को हमेशा हरा-हरा लगता है.... !
असली बात जानने का इंतज़ार रहेगा....
इस बसंत के मौसम में क्यों ,
पतझड़ जैसा लगता है.... ?
बहुत सुन्दर रचना । बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteमेरी कविता
सुंदर रचना।
ReplyDeletebahut sundar bhaav sir..
ReplyDeletebahut sundar rachna..
bhaavpoorn.....
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना है यशवंत जी! बहुत धनयवाद!
ReplyDeleteइस बसंत पर आपका मन विरह से बाहर आकर प्रसन्न है ऐसी हमारी कामना है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।
ReplyDeletesunder Rachna,aap ko bhi basant panchami ki haardik shubhkaamnayen.
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएं....
बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
पहले तो नहीं देख पाए थे अबकी देखी सुन्दर रचना है |
ReplyDeleteइस बसंत के मौसम में क्यों
ReplyDeleteपतझड़ जैसा लगता है,
सुन्दर कविता है ,मेरे ब्लॉग पर आपका
स्वागत है |||||||||
जो मनमीत हो वह यादों से कैसे विदा हो भला...
ReplyDeleteवसंत..., वसंत ले कर आये आपके जीवन में, माँ शारदे का आशीष प्राप्त हो!
अनंत शुभकामनाएं!
सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ
Basant ka suawsar par sundar prastuti..
ReplyDeleteगहरे भाव के साथ सुन्दर प्रस्तुति.. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeletesundar sarthak basanti prastuti..
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएं
ReplyDeleteजब हृदय में दर्द हो तो वसंत का मौसम भी पतझड सा लगता है ..
ReplyDeleteविरह वेदना कि सुंदर अभिव्यक्ती ...
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ ....
nice poem
ReplyDeletehttp://drivingwithpen.blogspot.com/
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteदूर हुआ मनमीत मगर,
ReplyDeleteक्यूँ न यादों से हटता है,
आँखों से झर झर झर आंसू,
सागर सूखा सा लगता है!
bahut hi sundar rachna par kyu sir ji ye basant patjhar sa kyu lag raha hai !!
badhiya prastuti
ReplyDeleteबहुत सुंदर..
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