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14 February 2012

कार्टून हूँ मैं......

जो कह सके न कोई
वो तीखी बात हूँ मैं
जो सह सके न कोई
वो जज़्बात हूँ मैं

मैं प्रेम भी हूँ
विरह भी हूँ
राजनीति भी हूँ
कूटनीति भी हूँ
मैं वोट भी हूँ
चोट भी हूँ
मैं खारा भी हूँ
मीठा भी हूँ

मैं आग हूँ तूफान हूँ
मैं क्रान्ति का राग हूँ
मैं मसखरा किन्तु खरा
शीतलता औ अनुराग हूँ

तुम जो समझना चाहो
समझते रहना मुझको
कभी शैतान का अक्स
कभी अफलातून हूँ मैं

कार्टून हूँ मैं !

39 comments:

  1. सही है...
    अफलातून हैं आप...
    :-)

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति !
    आभार !

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  3. कार्टून का संवाद अच्छा लगा ...

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  4. वाह ... बहुत ही बढि़या।

    कल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है !
    क्‍या वह प्रेम नहीं था ?

    धन्यवाद!

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  5. वाह! अब कुछ नहीं बचा ... जो बांकी बचा ...
    बहुत सुंदर प्रस्तुति !

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  6. बहुत सही यशवंत जी....हमे तो कार्टून पसंद है.....अगर आप डिज़नी के हैबं तो हिट हैं :-)

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  7. यशवंत जी ...कार्टून के साथ साथ ...एक इंसान भी हैं आप

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  8. यशवंत जी कार्टून के साथ साथ ...एक अच्छे इंसान हैं आप

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  9. अंदाज काफी अच्छा लगा ....

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  10. Yashwant ji
    bahut badhiya likha aapne.

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  11. वाह...वाह...वाह...बहुत अच्छी बात कही है आपने...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  12. बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति ....

    MY NEW POST ...कामयाबी...

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  13. आप महान है जो भी हैं :)

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  14. rachna bahut hi achchhi hai ,ye bhi khoob hai .

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  15. बहुत सुंदर , एक अलग सी रचना

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  16. शायद कुछ कमी रह गयी लिखने मे या मैंने भूमिका नहीं लिखी जिसकी वजह से मुझे ऐसा लगता है कि पाठकों ने इसे मेरे लिए मेरी कविता समझ लिया :(

    जबकि लिखने का मंतव्य उस कार्टून की बात कहना था जो हम पत्रिकाओं और समाचार पत्रों मे रोज़ देखा करते हैं।

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  17. sach me aflatun... kuchh bhi maskhari me hi kar deta hai:)

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  18. प्रेम भी हूँ
    विरह भी हूँ
    राजनीति भी हूँ
    कूटनीति भी हूँ
    अपनी अभिव्यक्ति मे अफलातून....:)

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  19. सारगर्भित,सब कुछ हूँ मैं...
    सुंदर प्रसतुति।

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  20. एक अलग ही मूड़ में लिखी है शायद इसी लिए अलग सी लग रही है.बहुत ही सुन्दर..अलग अंदाज..

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  21. मैं प्रेम भी हूँ
    विरह भी हूँ
    राजनीति भी हूँ
    कूटनीति भी हूँ
    मैं वोट भी हूँ
    चोट भी हूँ
    मैं खारा भी हूँ
    मीठा भी हूँ

    wah kya khoob likha hai ....apke sandrbhon se kavita ka maja doona ho gaya Bhai mathur ji.

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  22. Gajab ki pankityaan sirji...
    Cartoon bhi saahitya ki tarah hoti hai..
    bhaavnaao ko jazbaato ko bayaan karne ka lajawaab maadhyam..

    cartoon k dil ka haal bahut khoob bayaan kiya.. behtareen khayaalo se saji hui rachna :)

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  23. तुम जो समझना चाहो
    समझते रहना मुझको.waah yashwant jee aapki aavaj bhi bdi mithi hai.thanks.

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  24. सुन्दर, बहुरंगी!

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  25. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  26. वाह अफलातून कार्टून जी की अभिव्यक्ती बेहद पसंद आई । आपको बधाई ।

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  27. आड़ी टेढी रेखाओं में करता सीधी बात
    कहीं करूँ मैं गुदगुदी और कहीं आघात.
    कार्टून के उद्गार पसंद आये..............

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  28. bahut prabhavshali abhivyakti

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  29. जो मन कहें उसी के खूबसूरत मर्म का उदहारण है.एक कार्टून के दर्द को अल्फाज़ देते शब्द लाजबाब हैं.देखने में भले ही छोटा लगे लेकिन चोट बेबाक,गम्भीर और मार्के का करता है.एक बेहतरीन कविता है...
    सादर!

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  30. जो मेरा मन कहें के भाव से निकले हुए शब्द कार्टून को एक नई उर्जा से भर रहा है.
    छोटे आकार का होकर भी गम्भीर,बेबाक और मर्म को स्पर्श करते हुए मार्के की बात सहज ही कर जाता है...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    सादर...!

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  31. "मैं मसखरा किन्तु खरा"
    क्या बात कही है! वाह !

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  32. बहुत खूब .. इन सब के साथ रह के अगर इंसान भी बने रह सकें तो कितना अच्छा हो ... बहुत लाजवाब ...

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