कुछ लाइन्स (पता नहीं कोई अर्थ निकलता भी है या नहीं ) यूं ही मन मे आईं तो अचानक लिख गयीं --
मन के ठंडे मौसम मे, लू चलती है यादों कीकुछ खुद के अरमानों की , कुछ किसी के वादों की
मैं सोच रहा पल पल क्यूँ ,धूल भी रोने लगती है
बिखरा कर अपने हर ज़र्रे को ,बेनूर सी होने लगती है
है यही प्रीत की रीत, बीत रही कुछ बातों की
सपनीली बहारों की, कुछ अधूरी मुलाकातों की
मन के ठंडे मौसम मे, अब लू चलती है यादों की
मन के ठंडे मौसम मे, अब लू चलती है यादों की
मन का ठंडा मौसम ...
ReplyDeleteयादों की लू ... वाह अर्थपूर्ण है...बिल्कुल है...
प्रथम पंक्ति तो लाजवाब है!
ReplyDeleteठण्ड और लू को जोड़ती.. वाह!
मन के ठंडे मौसम मे,अब लू चलती है यादों की...
ReplyDeleteअर्थ पुर्ण सुंदर पंक्तियाँ,..
बेहतरीन रचना के लिए,यशवंत जी,..बहुत२ बधाई,...
bahut khoob .aabhar
ReplyDeleteयूँ ही लिखी गयी पंक्तियाँ अंतस की गहराइयों से निकलती हैं......बहुत खूब..
ReplyDeleteab to yashvant ji loo chal bhi rahi hai aur aise me aapki kavita ki ye panktiyan sarthak prateet ho rahi hain bahut khoob vah...
ReplyDeleteलू चलती हो तो मन का मौसम ठंडा कब तक रह पायेगा...दिल से निकली सुंदर कविता !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता है
ReplyDeleteदिल से लिखी , दिल को छूती
बेहतरीन रचना ....
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमन के ठंडे मौसम मे, अब लू चलती है यादों की.... ,
ReplyDeleteयादों की लू के गर्म थपेड़ों से मन से ज्यादा आत्मा झुलसती है.... !!
बहुत सुंदर पंक्तियाँ और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकभी कभी लू भी ठंडक देती है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर |
मन के ठंडे मौसम मे, लू चलती है यादों की
ReplyDeleteकुछ खुद के अरमानों की , कुछ किसी के वादों की
वाह बहुत गहरी बात है, कम शब्दों में...
yaaden....yaaden.....bas yaaden....
ReplyDeleteपर मन का मौसम ठंडा क्यों है ?????? :):) सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमन के ठन्डे मौसम में लू चलती है यादों की ...
ReplyDeleteवाह !
bahut khoob yaswant bhai ....
ReplyDeleteMan ki yahi samasya hai ki vah vartman men rahta hi nahin.
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteबेहतरीन .......शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबड़े गहरे अर्थ है!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteलाजवाब...
bahut sundar
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