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14 April 2012

मुलाक़ात कर लूँ

 शुरू की 5 लाइन्स को कल मैंने फेसबुक स्टेटस बनाया था...आज न जाने किस धुन मे यह बढ़ता चला गया और सामने आया इस बेतुके रूप मे ----

कदमों के निशां छोड़ कर
जो गयी है कहीं दूर.....
सोच रहा हूँ
आज उस रूह से
एक मुलाक़ात कर लूँ....
उस की अनसुनी आहट का
एक एहसास यूं तो हुआ था
गहरी नींद में ,जब मैं सोया हुआ था
ये न मालूम था कि ,ठहरेगी नहीं
लौट जाएगी
सिरहाने पे ,बेरूखी छोड़ जाएगी 
वो दूर पहले भी थी
वो दूर आज भी है
न जाने कौन सा किरदार
खबरदार आज भी है
फितूर है या कुछ और कि
बीते कल के साथ चलूँ
सोच रहा हूँ
आज उस रूह से
मुलाक़ात कर लूँ। 


29 comments:

  1. manobhav kab kisi madhyam se baahar nikal aaye kuch tay nahi rahta...bahut badiya rachna..

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  2. बड़ी बेतुकी बात है, प्रियवर कवि-यशवंत ।

    क़दमों के पाए निशाँ , क्यूँ चूके श्रीमंत ।

    क्यूँ चूके श्रीमंत, बढ़ो चिन्हों पर आगे ।

    कर जीवन-पर्यंत, भाग्य उद्यम से जागे ।

    रविकर सच्ची रूह, ढूंढता हरदम जिसको ।

    मुलाक़ात कर जाय, पकड़ ले जल्दी उसको ।।

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  3. बहुत सुंदर यशवंत............
    तुक में नहीं मगर बेतुका कतई नहीं है................
    :-)

    सस्नेह.

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  4. .एक प्रवाहमयी तुक कृति बनती गई..बहुत सुन्दर .. यशवन्त

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  5. न जाने कौन सा किरदार
    खबरदार आज भी है...waah
    बहुत ही नाजुक अहसासों को लिए सुन्दर
    रचना

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  6. एक बार तो मैं आपकी कविता में बह गया था लेकिन रविकर जी की पंक्तियों ने ज़मीन पर ला खड़ा किया. उनकी बात पर ग़ौर करें. वैसे कविता सुंदर है.

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  7. कभी कभी शब्द बस यूहीं कलम से सरकते जाते हैं .....और कविता का सर्जन हो जाता है ...और कभी कभी सर्जन में प्रसव की सी पीड़ा से गुज़रना पड़ जाता है....लेकिन तब भी मन नहीं भरता ......आपकी कविता उस पहली केटेगरी की उपज है .....अविरल बहती सी ...किसी धारा सी ..

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. रूह से मुलाक़ात .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  10. कभी कभी मन की बात बेतुकी तो लगती है पर कुछ ना कुछ तो लिंक होता है मन से तभी निकल आती हैं लफ़्ज बनकर ..............

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  11. Replies
    1. वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है आपने.

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  12. अतीत में झाकना ... एक तरह से mahlam होता है .... अगर अतीत ने घाव दिए हो तब

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  13. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है !

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  14. बहुत सुन्दर !

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  15. क्या बात है
    बहुत बढिया यशवंत

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  16. बीते हुवे कल के साथ चलने से मुलाक़ात तो तय ही है ... बहुत खूब ... दिल के जज्बात उतारे हैं ...

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  17. रूह से मुलाकात हो ही जाये अब...

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  18. वाह,वाह क्या बात है .... !!
    बेतुक वाली ऐसी तो तुक वाली कैसी .... ??

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  19. सुन्दर प्रस्तुति है

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  20. वाह ...बहुत ही बढि़या।

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  21. Sundar...sundar...sundar...

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  22. मेल पर प्राप्त -

    indira mukhopadhyay

    10:05 PM

    to me

    Bilkul betuka nahi,bade khubsurat roop me samne aaya hai,sundar khayal hai.

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  23. मन के भावो को उद्वेलित करती सुन्दर रचना...
    कुछ बहुत ही खास गहराई है इस रचना में....

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