शुरू की 5 लाइन्स को कल मैंने फेसबुक स्टेटस बनाया था...आज न जाने किस धुन मे यह बढ़ता चला गया और सामने आया इस बेतुके रूप मे ----
कदमों के निशां छोड़ कर
जो गयी है कहीं दूर.....
सोच रहा हूँ
आज उस रूह से
एक मुलाक़ात कर लूँ....
उस की अनसुनी आहट का
एक एहसास यूं तो हुआ था
गहरी नींद में ,जब मैं सोया हुआ था
ये न मालूम था कि ,ठहरेगी नहीं
लौट जाएगी
सिरहाने पे ,बेरूखी छोड़ जाएगी
वो दूर पहले भी थी
वो दूर आज भी है
न जाने कौन सा किरदार
खबरदार आज भी है
फितूर है या कुछ और कि
बीते कल के साथ चलूँ
सोच रहा हूँ
आज उस रूह से
मुलाक़ात कर लूँ।
कदमों के निशां छोड़ कर
जो गयी है कहीं दूर.....
सोच रहा हूँ
आज उस रूह से
एक मुलाक़ात कर लूँ....
उस की अनसुनी आहट का
एक एहसास यूं तो हुआ था
गहरी नींद में ,जब मैं सोया हुआ था
ये न मालूम था कि ,ठहरेगी नहीं
लौट जाएगी
सिरहाने पे ,बेरूखी छोड़ जाएगी
वो दूर पहले भी थी
वो दूर आज भी है
न जाने कौन सा किरदार
खबरदार आज भी है
फितूर है या कुछ और कि
बीते कल के साथ चलूँ
सोच रहा हूँ
आज उस रूह से
मुलाक़ात कर लूँ।
manobhav kab kisi madhyam se baahar nikal aaye kuch tay nahi rahta...bahut badiya rachna..
ReplyDeleteबड़ी बेतुकी बात है, प्रियवर कवि-यशवंत ।
ReplyDeleteक़दमों के पाए निशाँ , क्यूँ चूके श्रीमंत ।
क्यूँ चूके श्रीमंत, बढ़ो चिन्हों पर आगे ।
कर जीवन-पर्यंत, भाग्य उद्यम से जागे ।
रविकर सच्ची रूह, ढूंढता हरदम जिसको ।
मुलाक़ात कर जाय, पकड़ ले जल्दी उसको ।।
बहुत सुंदर यशवंत............
ReplyDeleteतुक में नहीं मगर बेतुका कतई नहीं है................
:-)
सस्नेह.
.एक प्रवाहमयी तुक कृति बनती गई..बहुत सुन्दर .. यशवन्त
ReplyDeleteन जाने कौन सा किरदार
ReplyDeleteखबरदार आज भी है...waah
बहुत ही नाजुक अहसासों को लिए सुन्दर
रचना
एक बार तो मैं आपकी कविता में बह गया था लेकिन रविकर जी की पंक्तियों ने ज़मीन पर ला खड़ा किया. उनकी बात पर ग़ौर करें. वैसे कविता सुंदर है.
ReplyDeleteAABHAAR Sir JEE
Deleteकभी कभी शब्द बस यूहीं कलम से सरकते जाते हैं .....और कविता का सर्जन हो जाता है ...और कभी कभी सर्जन में प्रसव की सी पीड़ा से गुज़रना पड़ जाता है....लेकिन तब भी मन नहीं भरता ......आपकी कविता उस पहली केटेगरी की उपज है .....अविरल बहती सी ...किसी धारा सी ..
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट
ReplyDelete.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
Bahut hi Sunder....
ReplyDeletebahuut badhiya
ReplyDeleteNice to see you here Doctor :)
Deleteरूह से मुलाक़ात .... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकभी कभी मन की बात बेतुकी तो लगती है पर कुछ ना कुछ तो लिंक होता है मन से तभी निकल आती हैं लफ़्ज बनकर ..............
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteवाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है आपने.
Deleteअतीत में झाकना ... एक तरह से mahlam होता है .... अगर अतीत ने घाव दिए हो तब
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteबहुत बढिया यशवंत
बीते हुवे कल के साथ चलने से मुलाक़ात तो तय ही है ... बहुत खूब ... दिल के जज्बात उतारे हैं ...
ReplyDeleteरूह से मुलाकात हो ही जाये अब...
ReplyDeleteवाह,वाह क्या बात है .... !!
ReplyDeleteबेतुक वाली ऐसी तो तुक वाली कैसी .... ??
सुन्दर प्रस्तुति है
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या।
ReplyDeleteSundar...sundar...sundar...
ReplyDeleteमेल पर प्राप्त -
ReplyDeleteindira mukhopadhyay
10:05 PM
to me
Bilkul betuka nahi,bade khubsurat roop me samne aaya hai,sundar khayal hai.
मन के भावो को उद्वेलित करती सुन्दर रचना...
ReplyDeleteकुछ बहुत ही खास गहराई है इस रचना में....