लगभग साल भर से यह पंक्तियाँ ड्राफ्ट में सुरक्षित थीं। पूर्व में अन्यत्र प्रकाशित अपनी इन पंक्तियों को अपने ब्लॉग पर आज प्रकाशित कर रहा हूँ-
उस क्षण !
मैंने तुमको
किया था
याद बहुत
जब
गहरे अंधेरों में
खुद को
डूबता पाया था
याद बहुत
जब
गहरे अंधेरों में
खुद को
डूबता पाया था
उस क्षण !
जब मैं गिन रहा था
साँसे
गुमनामी की
रोग शैय्या पर
लेटे हुए
मैं याद करता था
तुम को
जब मैं गिन रहा था
साँसे
गुमनामी की
रोग शैय्या पर
लेटे हुए
मैं याद करता था
तुम को
उस क्षण !
जब मेरे अपने
होते जा रहे थे दूर
नाज़ुक से
मुलायम हाथों को
छिटक कर
मैं
हाथ जोड़े खड़ा था
तुम्हारे सामने
हाथ जोड़े खड़ा था
तुम्हारे सामने
समय का
तेज चलता पहिया
न जाने
कब वो दिन बीत गए
पूरे होते सपनों की उड़ान में
अनोखी आशाओं के
मखमली बिस्तर पर
मैं भूल गया था
तुमको
और अब
फिर झेल रहा हूँ
झंझावातों को
खड़ा हूँ
हाथ जोड़े
तुम्हारे सामने
झुकी नजरों से
मांग रहा हूँ
आसरा
तुम्हारे आँचल में
मैं शरमा रहा हूँ
कुछ भी कहने में
तुम्हारी मूरत से
नज़र मिलाने का साहस
अब नहीं रहा
काश !
उसी तरह तुमको
रखता साथ
मन के भीतर
किसी कोने में
तो शायद
मेरा आज
आज न होता
जी रहा होता
मैं
सुनहरे बीते कल को
आज बना कर
कर रहा हूँ
खुद से एक प्रश्न
भूल गया क्यों तुम को ?
उन पलों में .
उन पलों में .
©यशवन्त माथुर© |
भावमय करते शब्दों का संगम ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
शुभकामनायें.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
i have no words ki how d lines r.....touching
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बेहतरीन प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बहुत सुन्दर यशवन्त..........
ReplyDeleteसचमुच तुम्हारे मन का कहा हुआ है ये..
सस्नेह
अनु
rulaane me majaa aataa hai bete jee....
ReplyDeletebahut sundar ....
ati maarmik ....
behtarin prastuti ....
addhbhut abhivyakati ....
shubhkaamnaaye ....
shabd ki kami ho rahi hai ....
isliye abhi ke liye bas itanaa hi ....
बेहतरीन जज्बात .... शुभकामनाएं !
ReplyDeleteवाह: बहुत सुन्दर भावोको संजोया है..यशवंत ..बढ़िया
ReplyDeleteकर रहा हूँ
ReplyDeleteखुद से एक प्रश्न
भूल गया क्यों तुम को ?
उन पलों में .sach me sab kuch kah diya aapne in chand panktiyon me......
दिल को छूती रचना...!
ReplyDeleteदुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय
ReplyDeleteजो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय।
जज्बात....जज्बात...जज्बात....
ReplyDeleteबस और क्या...!
:)
ReplyDeletevery nice !!
ReplyDeleteदिल की गहराई में पैठ बनाती कविता...
ReplyDeleteबहुत खूब...!
पूरे होते सपनों की उड़ान में
ReplyDeleteअनोखी आशाओं के
मखमली बिस्तर पर
मैं भूल गया था
तुमको
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ....
अच्छी बात यह है कि कोई भी इंसान इसे अपने हिसाब से जोड़ सकता है.. किसी के लिए वो शख्स माँ है, किसी के लिए प्रेयसी तो किसी के लिए भगवान्..
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कविता यशवंत जी.. अच्छा लगा...
अंतर्मन कि गहन बातें
ReplyDeleteindira mukhopadhyay
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , समय निकल जाता है जब , बस प्रश्न ही रह जाते है. कृपया मेरा ब्लॉग भी देखें, http://seepiya.wordpress.com/2012/07
बेहद खूबसूरत शब्द रचना ..
ReplyDeleteशनिवार 11/08/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteकोमल से भाव ,गहरे अहसास व्यक्त करती
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना..
सुंदर , भावनात्मक
ReplyDeleteबहुत भावात्मक रचना
ReplyDeleteअनोखी आशाओं के
ReplyDeleteमखमली बिस्तर पर
मैं भूल गया था
तुमको
...मर्मस्पर्शी रचना ....!!!!
gahare bhavon ke sath prabhavshali rachana sadar abhar .
ReplyDeleteकर रहा हूँ
ReplyDeleteखुद से एक प्रश्न
भूल गया क्यों तुम को ?
उन पलों में .
neh se bheegi hui ek pyari rachna, padhna man bhaya
shubhkamnayen
सुंदर रचना
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