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06 August 2012

भूल गया क्यों तुम को?

लगभग साल भर से यह पंक्तियाँ ड्राफ्ट में सुरक्षित थीं। पूर्व में अन्यत्र प्रकाशित अपनी इन पंक्तियों को अपने ब्लॉग पर आज प्रकाशित कर रहा हूँ-


उस क्षण !
मैंने तुमको
किया था
याद बहुत
जब
गहरे अंधेरों में
खुद को
डूबता पाया था
उस क्षण !
जब मैं गिन रहा था
साँसे
गुमनामी की
रोग शैय्या पर
लेटे हुए
मैं याद करता था
तुम को

उस क्षण !
जब मेरे अपने
होते जा रहे थे दूर
नाज़ुक से
मुलायम हाथों को
छिटक कर
मैं
हाथ जोड़े खड़ा था
तुम्हारे सामने

समय का
तेज चलता पहिया
न जाने
कब वो दिन बीत गए
पूरे होते सपनों की उड़ान में
अनोखी आशाओं के
मखमली बिस्तर पर
मैं भूल गया था
तुमको

और अब
फिर झेल रहा हूँ
झंझावातों को
खड़ा हूँ
हाथ जोड़े
तुम्हारे सामने
झुकी नजरों से
मांग रहा हूँ
आसरा
तुम्हारे आँचल में

मैं शरमा रहा हूँ
कुछ भी कहने में
तुम्हारी मूरत से
नज़र मिलाने का साहस
अब नहीं रहा

काश !
उसी तरह तुमको
रखता साथ
मन के भीतर
किसी कोने में
तो शायद
मेरा आज
आज न होता
जी रहा होता
मैं
सुनहरे बीते कल को
आज बना कर

कर रहा हूँ
खुद से एक प्रश्न
भूल गया क्यों तुम को ?
उन पलों में .

©यशवन्त माथुर©

29 comments:

  1. भावमय करते शब्‍दों का संगम ...

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  2. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें.

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  3. i have no words ki how d lines r.....touching

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  4. बहुत सुन्दर यशवन्त..........
    सचमुच तुम्हारे मन का कहा हुआ है ये..

    सस्नेह
    अनु

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  5. rulaane me majaa aataa hai bete jee....
    bahut sundar ....
    ati maarmik ....
    behtarin prastuti ....
    addhbhut abhivyakati ....
    shubhkaamnaaye ....
    shabd ki kami ho rahi hai ....
    isliye abhi ke liye bas itanaa hi ....

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  6. बेहतरीन जज्बात .... शुभकामनाएं !

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  7. वाह: बहुत सुन्दर भावोको संजोया है..यशवंत ..बढ़िया

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  8. कर रहा हूँ
    खुद से एक प्रश्न
    भूल गया क्यों तुम को ?
    उन पलों में .sach me sab kuch kah diya aapne in chand panktiyon me......

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  9. दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय
    जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय।

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  10. जज्बात....जज्बात...जज्बात....
    बस और क्या...!

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  11. दिल की गहराई में पैठ बनाती कविता...
    बहुत खूब...!

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  12. पूरे होते सपनों की उड़ान में
    अनोखी आशाओं के
    मखमली बिस्तर पर
    मैं भूल गया था
    तुमको

    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ....

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  13. अच्छी बात यह है कि कोई भी इंसान इसे अपने हिसाब से जोड़ सकता है.. किसी के लिए वो शख्स माँ है, किसी के लिए प्रेयसी तो किसी के लिए भगवान्..
    बहुत ही खूबसूरत कविता यशवंत जी.. अच्छा लगा...

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  14. अंतर्मन कि गहन बातें

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  15. indira mukhopadhyay

    बहुत सुन्दर , समय निकल जाता है जब , बस प्रश्न ही रह जाते है. कृपया मेरा ब्लॉग भी देखें, http://seepiya.wordpress.com/2012/07

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  16. बेहद खूबसूरत शब्द रचना ..

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  17. शनिवार 11/08/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

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  18. कोमल से भाव ,गहरे अहसास व्यक्त करती
    हृदयस्पर्शी रचना..

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  19. सुंदर , भावनात्मक

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  20. अनोखी आशाओं के
    मखमली बिस्तर पर
    मैं भूल गया था
    तुमको

    ...मर्मस्पर्शी रचना ....!!!!

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  21. gahare bhavon ke sath prabhavshali rachana sadar abhar .

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  22. कर रहा हूँ
    खुद से एक प्रश्न
    भूल गया क्यों तुम को ?
    उन पलों में .

    neh se bheegi hui ek pyari rachna, padhna man bhaya

    shubhkamnayen

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