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10 January 2013

कौन जानता है ?

भावनाओं के धधकते
ज्वालामुखी से निकलता
एहसासों का धुआँ
सिर्फ एक पूर्वानुमान है।
उसके भीतर दबे
शब्दों का लावा
अपनी जद में
समेटेगा
किन विधाओं को ...
कौन जानता है ?
©यशवन्त माथुर©

10 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 12/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर !!!

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  3. कौन जाने भावी अपने गर्भ में क्या छुपाये है..कोई अनमोल हीरा भी हो सकता है..सुंदर रचना !

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  4. आपके शब्दों का लावा हर विधा को अपनी जद में समेटे यही दुआ है..

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  5. लावा धधकता है .बहकर निकलता है
    मन जब पिघलता है आंसू बन बहता है

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  6. सुन्दर रचना

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  7. धधकता लावा बाहर आएगा ही ....

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