कभी कभी
औरों की तरह
मैं भी कोशिश करता हूँ
प्यार पर लिखने की
प्यार को परिभाषित करने की
‘तुम’ से ‘मैं’ की बात कहने की
दिल के भीतर हिलोरें लेते
बसंत की कुछ सुनने की
महसूस करने की
पर बुद्धि और सोच का छोटापन
समझने नहीं देता
कि प्यार क्या है
सिवाय इसके
कि प्यार सिर्फ प्यार है
जिसे शब्द देना
मेरे लिए मुमकिन नहीं!
©यशवन्त माथुर©
औरों की तरह
मैं भी कोशिश करता हूँ
प्यार पर लिखने की
प्यार को परिभाषित करने की
‘तुम’ से ‘मैं’ की बात कहने की
दिल के भीतर हिलोरें लेते
बसंत की कुछ सुनने की
महसूस करने की
पर बुद्धि और सोच का छोटापन
समझने नहीं देता
कि प्यार क्या है
सिवाय इसके
कि प्यार सिर्फ प्यार है
जिसे शब्द देना
मेरे लिए मुमकिन नहीं!
©यशवन्त माथुर©
होता हूँ नि:शब्द मैं, सुन बातें यशवन्त |
ReplyDeleteछोटी छोटी पंक्तियाँ, भरते भाव अनन्त |
भरते भाव अनन्त, प्यार का भरा समन्दर |
करता रविकर पैठ, उतरकर पूरा अन्दर |
प्रियवर है आशीष, लगाओ तुम भी गोता |
प्यार प्यार ही प्यार, सत्य यह शाश्वत होता ||
प्रेम को शब्दों में बांधना कहाँ सरल है.....
ReplyDeleteकम शब्दों में ही प्रेम को परिभाषित करती ...सुंदर अभिव्यक्ति यशवंत ......
ReplyDeleteबात तो सही है प्यार को शब्द देना मुश्किल है..
ReplyDeleteपर शब्दों से अगर प्यार का इजहार करे तो
बहुत ही अच्छा होता है..बहुत सुन्दर रचना...
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
ReplyDeleteमंगलवार 19/02/2013 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है .... !!
धन्यवाद .... !!
सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteप्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है
प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है
thik kaha pyar pyar hai kyonki iska bahut vistar hai.tjis the care we show to everybody close to us
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''बसंत है आया''
प्यार की इससे सरल और सटीक परिभाषा नही हो सकती की इसे बयान ही नही किया जा सकता की क्या हुआ मुझे .
ReplyDelete:)
बहुत अच्छे भाई !!
बहुत ही सुन्दर ...
ReplyDeleteप्यार को परिभाषित करना कहाँ इतना सहज है ... बहुत सुंदर
ReplyDeleteयशवंत भाई बढ़िया लिखा है | आनंद आ गया |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
तभी तो कहा है शायर ने-प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो..
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteखूब!
ReplyDeletebahut sunder...
ReplyDeletesundar bhavpurn prastuti
ReplyDeleteयशवन्त माथुर जी वहा वहा क्या खूब कहा है आपने पर इस प्रेम को परिभाषित करना हम मनुष्यों के बस की बात नहीं इस तो भगवान श्री कृष्ण भी परिभाषित नहीं कर पाए
ReplyDeleteमेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
कौन कहता है तुम्हें कि परिभाषित करो प्यार को...
ReplyDeleteप्यार किया है ये क्या कम है :-)
सस्नेह
अनु