नकल और
अकल की कुश्ती
के साथ
परीक्षाओं के
इस तमाशे में
हार और जीत
नज़रें झुकाए
कर रही हैं याद
बीते दौर को।
~यशवन्त माथुर©
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नक्ल मारना तो आज लोकतांत्रिक अधिकार की तरह सुना जाने लगा है
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिका!
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिका अकल का महत्व दर्शाती
ReplyDeletenice... likedit
ReplyDeleteshubhkamnayen
शुभप्रभात :).
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
सारी क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर हैं
ReplyDeleteओर ये बीता दौर हमेशा साथ रहता है ... ताज़ा ...
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