(विश्व जल दिवस पर आज यह पंक्तियाँ एक बार पुनः प्रकाशित)
रोज़ सुबह-शाम
हर गली -हर मोहल्ले में
मची होती है
एक तेज़ हलचल
नलों में पानी आने की
आहट के साथ
मेरे और सब के घरों में
टुल्लू की चीत्कार
शुरू कर देती है
अपना समूह गान
किसी की
कारें धुलने लगती हैं
किसी के डॉगी नहाने लगते हैं
और कोई
बस यूंही
बहने देता है
छत की
भर चुकी टंकी को
और उधर
बगल की बस्ती में
जहां रहते हैं
'नीच' और
'फुटपाथिया' लोग
जिनके पास टुल्लू नहीं -
म्यूनिस्पैल्टी के
नल से बहती
बूंद बूंद अमृत की धार को
सहेजने की कोशिश में
झगड़े होते हैं
पास के गड्ढे में
एक डुबकी लगा कर
हो जाता है
बच्चों का गंगा स्नान
धुल जाते हैं
कपड़े और बर्तन
रोज़ सुबह -शाम
मैं यही सोचता हूँ
काश 'इनकी' मोटर बंद हो
और रुक जाए
छत की टंकी से
पानी का बहना
और 'वो' कर सकें
अपने काम आसानी से
पर
संपन्नता का
क्षणिक गुरूर
शायद महसूस
नहीं कर सकता
विपन्नता के
स्थायी भाव को!
हर गली -हर मोहल्ले में
मची होती है
एक तेज़ हलचल
नलों में पानी आने की
आहट के साथ
मेरे और सब के घरों में
टुल्लू की चीत्कार
शुरू कर देती है
अपना समूह गान
किसी की
कारें धुलने लगती हैं
किसी के डॉगी नहाने लगते हैं
और कोई
बस यूंही
बहने देता है
छत की
भर चुकी टंकी को
और उधर
बगल की बस्ती में
जहां रहते हैं
'नीच' और
'फुटपाथिया' लोग
जिनके पास टुल्लू नहीं -
म्यूनिस्पैल्टी के
नल से बहती
बूंद बूंद अमृत की धार को
सहेजने की कोशिश में
झगड़े होते हैं
पास के गड्ढे में
एक डुबकी लगा कर
हो जाता है
बच्चों का गंगा स्नान
धुल जाते हैं
कपड़े और बर्तन
रोज़ सुबह -शाम
मैं यही सोचता हूँ
काश 'इनकी' मोटर बंद हो
और रुक जाए
छत की टंकी से
पानी का बहना
और 'वो' कर सकें
अपने काम आसानी से
पर
संपन्नता का
क्षणिक गुरूर
शायद महसूस
नहीं कर सकता
विपन्नता के
स्थायी भाव को!
~यशवन्त माथुर©
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसार्थक सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार हाय रे .!..मोदी का दिमाग ................... .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteसंपन्नता का
ReplyDeleteक्षणिक गुरूर
शायद महसूस
नहीं कर सकता
विपन्नता के
स्थायी भाव को! yahi sach hai
latest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
गहरी और सच्ची अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सोच और कविता भाई | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर सोच और कविता भाई | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
जल दिवस पर सुंदर संदेश देती रचना..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
संवेदना पूर्ण अभिव्यक्ति
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