अर्थ हो
या अर्थ का अनर्थ हो
सार्थक हो
या लिखना ही व्यर्थ हो
कुछ लोगों से
कुछ भी कहो
पर अपनी ही
मस्ती में मस्त हो
ज़बरिया कर के टैग
फेसबुक की दीवारों पर
चाहते हैं दो शब्द
खुद के विचारों पर
टैग की टांग पकड़कर
कब तक चढ़ेंगे ऊपर
पता नहीं
पूछिए हम, बिचारों से
कि इससे बड़ी सज़ा नहीं :)
©यशवन्त माथुर©
प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©
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हा हा हा ...बहुत खूब
ReplyDeleteटैग की समस्या सचमुच पीड़ा देती है
हा हा हा ...बहुत खूब
ReplyDeleteटैग की समस्या सचमुच पीड़ा देती है
:) ...
ReplyDeleteजबरिया ज्यादा दिन नहीं चलती... कहते हैं न हीरा कभी नहीं कहता लाख टका मेरो मोल... शुभकामनायें
ReplyDeleteबिलकुल सच कहा है .... शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteआपसे पूरी तरह सहमत हूँ
ReplyDeleteभाई मैं तो इसलिए किसी को टैग करता ही नहीं | पढना है तो पढो, नहीं पढना तो न पढो हम तो अपने लिए लिखते हैं :) | बढ़िया अवलोकन |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!
व्वाकई एक समस्या बन चुकी है.
ReplyDeleteटैग करने वाले को
ReplyDeleteकरने दीजिए टैग
सुविधा तो सब की है ....
शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये