भागते समय को
पकड़ने की
जद्दोजहद में
अक्सर याद करता हूँ
कछुआ
और खरगोश की कहानी
और खुद पर
अफसोस
कि मैं
कछुआ भी तो नहीं।
~यशवन्त माथुर©
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Priti Dabral
ReplyDeletebahut achhi rachna, sach hai ham na kachhua rahe na khargosh...kaisa hoga ye jeevan safar..
Bhavana Lalwani
ReplyDeleteaapko ban naa hai toh abhi bulaate hain harry potter ko wo apni magic vend ghumaa k banaa dega aapko kachhuaa ya jo bhi aapko pasand ho :P
•
Anita Nihalani
ReplyDeleteवाह ! अच्छा है
vandana gupta
ReplyDeleteबहुत खूब
jyoti khare
ReplyDeleteअपने भीतर पनपती अपनी ही बात
बहुत बढ़िया
सोचने को विवश कर दिया....
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