अगर वो पाक होता
तो क्यों नापाक होता
मगर वो नापाक है
तो और क्या करता
वो सोता नहीं हमारी तरह
'मौन' की चादर में
'चीन' छीन कर चैन*
न यूं ही अड़ा होता
एक अरब में एक 'सरब'
गर उसके मोल को समझा होता
अपना लड़का अपने घर को
आज न 'ऐसे' लौटा होता
न मंज़र दर्दनाक होता
न दौर शर्मनाक होता
अगर वो पाक होता,
तो क्यों नापाक होता ?
~यशवन्त माथुर©
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*छीन छीन कर चैन भी पढ़ सकते हैं
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indira mukhopadhyay
ReplyDeletesunar, samyik aur sateek abhivyakti.
•
sangeeta swarup
ReplyDeleteदो टूक बात ..... पाक पाक होता तभी न ।
Anulata Raj
ReplyDeleteसच.................
सबके अपने कानून........
vibha rani Shrivastava
ReplyDeleteअद्धभुत अभिव्यक्ति
God Bless U
Nihar Ranjan
ReplyDeleteनिर्लज्ज की क्या बात. सुन्दर अभिव्यक्ति.
ASHISH RASTOGI
ReplyDeletePakistan nahin Yash, Napakistan!
Ashish
Maheshwari Kaneri
ReplyDeleteदर्दनाक मंज़र, शर्मनाक दौर ..
sandhya sharma
ReplyDeleteअगर वो पाक होता,
तो क्यों नापाक होता ?
सटीक...
vandana gupta
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(4-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
Neeraj Kumar
ReplyDeletebahut hi sundar abhvyakti.
•
Jaikrishna Rai Tushar
ReplyDeleteसामयिक और अच्छी कविता |
aruna kudesia
ReplyDeleteवो सोता नहीं हमारी तरह
'मौन' की चादर में
'चीन' छीन कर चैन*.....................अच्छा बहुत अच्चा .......
Pankaj Kumar Sah
ReplyDeleteशर्मनाक
बहुत ही अच्छी रचना।
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