प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

03 June 2013

नारी ने कहना छोड़ दिया ......श्रीमती संतोष सिंह

आज प्रस्तुत है आदरणीया संतोष आंटी जी की कविता जो नारी को कुछ अलग तरह से वर्णित करती है। 
संतोष आंटी को लिखने का शौक काफी समय से है और वर्ष 1968 से वह लगातार अपनी डायरी में लिखती आ रही हैं। समय समय पर आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र से इनकी कविताएं प्रसारित हो चुकी है। 
_______________________________________________________


संतोष सिंह जी
नारी ने कहना छोड़ दिया
नारी ने सहना छोड़ दिया
अपने इन सक्षम हाथों से
भार उठाना सीख लिया।

वो रचती नित आकाश नये
निर्मित करती विन्यास नये
घर के आँगन से दफ्तर तक
गलियों से ले कर पत्थर तक
भू के अंदर भू के ऊपर
अब अंतरिक्ष को भी छू कर
नारी ने परिचय दिया आज
अबला का दामन छोड़ दिया।
नारी.........

सर पर बारिश और धूप लिये
संयम साहस प्रति रूप लिये
हर जगह शक्ति का रूप लिये
अपने अंदर एक हूक  लिये
हर कदम वो बढ़ती जाती है
हर जगह वो मंज़िल पाती है।
रुख मोड़ नदी का देती है
रुख देख के बहना छोडना दिया।
नारी........

वो जग पालक वो संहारक
वो जन्म दायिनी और तारक
उसकी सृष्टि है दिग  दिगंत
उसकी शक्ति का नहीं अंत
पूजित है सबसे उसका रूप
उसको इस जगत चराचर ने
माया गहनों से जोड़ दिया ।
नारी.......

वो इन्दिरा बनी तो राज़ किया
जब वक़्त पड़ा  गोली खाई
वो कल्पना चावला बनी यहाँ
चंदा को छू कर ही आई
ऐसी कुर्वानी दी उसने
इतिहास में पन्ना जोड़ दिया
नारी ने....... 


 ~श्रीमती संतोष सिंह ©

16 comments:

  1. bahut sundar naari ke alakh jagati racna . naari to dhuri hoti ek sambal

    ReplyDelete
  2. नारी श्रेष्ठ है ... शक्ति है ...
    बस उसे जागने की जरूरत है ...

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
    आप की ये रचना 07-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
    पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
    आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।

    मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।


    जय हिंद जय भारत...


    कुलदीप ठाकुर...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बहुत शुभ कम्नाये

    ReplyDelete
  6. नारी के अप्रतिम साहस को नमन करती सुंदर पंक्तियाँ..

    ReplyDelete
  7. फेसबुक के ग्रुप -CPI ON LINE SUPPORTERS(BIHAAR)में प्राप्त टिप्पानी ---
    Shamim Shaikh : "very good,
    5 hours ago · Unlike · 1
    Shamim Shaikh system ne logo ki mansikta ko bhi bajaroo bna diya hai yahi karan hai nari ke shosan aor utpeedan ka. system ne paise ka lobh lalach ko badhava dekar parivar me kuroorta aor hinsa ko bdha diya hai"
    about a minute ago via mobile · Like

    ReplyDelete
  8. नारी श्रेष्ठ शक्ति है,खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  9. नित नये सोपानों को रचती शक्ति-स्वरूपा नारी पर सुंदर रचना.

    ReplyDelete
  10. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।

    ReplyDelete
  11. खूबसूरत अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!

    ReplyDelete
  13. नारी ने अबला को सबला में ढाल दिया है । कविता बहुत पसंद आई। बधाई संतोष जी !

    ReplyDelete
  14. नारी की ताकत का सुन्दर वर्णन

    ReplyDelete
  15. बहुत अच्छी रचना है . सारपूर्ण .

    ReplyDelete
+Get Now!