आज भर गयी ख्यालों की गुल्लक
तो उसे तोड़ कर देखा
भीतर जमा मुड़ी पर्चियों को
खोल कर देखा
किसी में लिखा था संदेश
आसमान के तारे गिनने का
किसी में लिखा था स्वप्न
मावस में चाँद के दिखने का
किसी में बना था महल
गरीब के झोपड़ के भीतर
किसी में अनपढ़ पढ़ा रहा था
जीवन के शब्द और अक्षर
अनगिनत इन पर्चियों पर
कल्पना के हर रूप को देखा
आज भर गयी ख्यालों की गुल्लक
तो उसे तोड़ कर देखा।
~यशवन्त यश©
तो उसे तोड़ कर देखा
भीतर जमा मुड़ी पर्चियों को
खोल कर देखा
किसी में लिखा था संदेश
आसमान के तारे गिनने का
किसी में लिखा था स्वप्न
मावस में चाँद के दिखने का
किसी में बना था महल
गरीब के झोपड़ के भीतर
किसी में अनपढ़ पढ़ा रहा था
जीवन के शब्द और अक्षर
अनगिनत इन पर्चियों पर
कल्पना के हर रूप को देखा
आज भर गयी ख्यालों की गुल्लक
तो उसे तोड़ कर देखा।
~यशवन्त यश©
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल आज की चर्चा : दिशाओं की खिड़की खुली -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : चर्चा अंक :006
ललित वाणी पर : जिंदगी की नई शुरूवात
उसमें दिखे मेरी शुभकामनायें अनन्त
ReplyDeleteवाह.. क्या बात है..
ReplyDeleteख्यालों की गुल्लक कभी भारती नहीं...नित नयी पर्चियां डालने के बाद भी....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
सस्नेह
अनु
*भरती
ReplyDeleteबढ़िया लिखा यशवंत
ReplyDeletekhyaalon ki ye gullak kabhi naa reete .. iske hone se hamaare sapne jawaan hai aur hamaari zindgiyaan roshan hain ..
ReplyDeleteयही तो है जिंदगी है... रोज नए पर्चियां और पूरा करने की कोशिश....
ReplyDeletebilkul sahi kaha tabhi to wo khayal hai .....very nice ....
ReplyDeleteखुबसूरत ख्याल की गुल्लक
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteनई रुपरेखा..सुंदर भाव !
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