नहीं
मैं अंधेरे में
काले आसमान से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं रोशनी में
चमकते चाँद तारों से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं आस पास बिखरे
रिश्ते नातों से
बातें नहीं करता
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
भाव शून्य दीवारों से
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
बंद कमरों पर लटके तालों से
मेरी बेमतलब
बातों को
हर कोई
समझ नहीं सकता
मैं इसीलिए
खुद से भी
खुद की
बातें नहीं करता।
~यशवन्त यश©
मैं अंधेरे में
काले आसमान से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं रोशनी में
चमकते चाँद तारों से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं आस पास बिखरे
रिश्ते नातों से
बातें नहीं करता
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
भाव शून्य दीवारों से
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
बंद कमरों पर लटके तालों से
मेरी बेमतलब
बातों को
हर कोई
समझ नहीं सकता
मैं इसीलिए
खुद से भी
खुद की
बातें नहीं करता।
~यशवन्त यश©
गहन भाव...
ReplyDeleteसच है ...यह द्वंद्व शायद सबके लिए है .....
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteइस लिए तो मेरे
ReplyDeleteमन को भाते हो बेटे जी
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत गहरी रचना.
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति...
ReplyDeleteSahi kaha....
ReplyDeleteKoi samajh nahi sakta isliye khud se b khud ki baat nahi karta.....
बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteबेहद सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeletebehtreen rachna
ReplyDeleteगहरे भाव...
ReplyDeleteसुन्दर..
:-)
बधाई ब्लॉगर मित्र ..सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की सूची में आपका ब्लॉग भी शामिल है |
ReplyDeletehttp://www.indiantopblogs.com/p/hindi-blog-directory.html
bahut sundar kavita ke jariye aapne apni baat kahi hain
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