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24 September 2013

बातें नहीं करता

नहीं 
मैं अंधेरे में 
काले आसमान से 
बातें नहीं करता  

नहीं 
मैं रोशनी में 
चमकते चाँद तारों से 
बातें नहीं करता 

नहीं 
मैं आस पास बिखरे
रिश्ते नातों से 
बातें नहीं करता 

क्योंकि 
मैं बातें करता हूँ 
भाव शून्य दीवारों से 

क्योंकि 
मैं बातें करता हूँ 
बंद कमरों पर लटके तालों से

मेरी बेमतलब 
बातों को 
हर कोई  
समझ नहीं सकता 

मैं इसीलिए
खुद से भी 
खुद की 
बातें नहीं करता। 

~यशवन्त यश©

15 comments:

  1. सच है ...यह द्वंद्व शायद सबके लिए है .....

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  2. भावपूर्ण रचना |

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  3. इस लिए तो मेरे
    मन को भाते हो बेटे जी
    हार्दिक शुभकामनायें

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  4. गहरी अभिव्यक्ति..

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  5. बहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति...

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  6. Sahi kaha....
    Koi samajh nahi sakta isliye khud se b khud ki baat nahi karta.....

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  7. बहुत सुन्दर ....

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  8. बेहद सुंदर अभिव्यक्ति

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  9. बधाई ब्लॉगर मित्र ..सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की सूची में आपका ब्लॉग भी शामिल है |
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  10. bahut sundar kavita ke jariye aapne apni baat kahi hain

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