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11 November 2013

जिंदगी एक मज़ाक है

जिंदगी एक मज़ाक है
इसे यूं भी जीना पड़ता है 
खुशी को निगलना
गम को पीना पड़ता है

कुछ पाने के लिये
कुछ खोना पड़ता है
जो खो न सके कुछ तो
दर्द को ढोना पड़ता है

यहाँ निशाना भी है
तीर कमान भी है
यहाँ ज़मीन भी है
और आसमान भी है 

उड़ते ख्वाब
भटकते अरमान भी हैं
पूरे होने को तरसते
कुछ फरमान भी हैं

ईमान के उर्वर खेतों में
बेईमान को उगना पड़ता है
भरे पेट हो कर भी
हर दाना चुगना पड़ता है

जिंदगी एक मज़ाक है
इसे यूं भी जीना पड़ता है
कड़वी गोली जीभ में धर के 
बोलना मीठा पड़ता है।

~यशवन्त यश ©

12 comments:

  1. ज़िन्दगी को यूं ही जीना पड़ता है... क्या करें। बहुत अच्छा लिखा है।

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  2. जिंदगी का अलग ही तरीका....
    बेहतरीन रचना......

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  3. मज़ा हो न हो जिंदगी ऐसे ही जीना पड़ता है ...
    हार्दिक शुभकामनायें ....

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  4. जिंदगी जैसे भी है इसे जीना पड़ता है ... जहर हो तोभी पीना पड़ता है ... सच लिखा है गहरा सच ...

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  5. वाह...बेहद सुन्दर प्रस्तुति...बधाई..

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  6. जिंदगी जैसे भी जीना पड़ता है... बहुत खूबसूरत रचना ...

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  7. इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :- 14/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 43 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....

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  8. जिंदगी पानी का बूंद है ,धरा में बहती है -सुन्दर रचना
    नई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ

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  9. ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं यशवंत....:)....अलबत्ता रचना खूब है .....!!!!!

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