जिंदगी एक मज़ाक है
इसे यूं भी जीना पड़ता है
खुशी को निगलना
गम को पीना पड़ता है
कुछ पाने के लिये
कुछ खोना पड़ता है
जो खो न सके कुछ तो
दर्द को ढोना पड़ता है
यहाँ निशाना भी है
तीर कमान भी है
यहाँ ज़मीन भी है
और आसमान भी है
उड़ते ख्वाब
भटकते अरमान भी हैं
पूरे होने को तरसते
कुछ फरमान भी हैं
ईमान के उर्वर खेतों में
बेईमान को उगना पड़ता है
भरे पेट हो कर भी
हर दाना चुगना पड़ता है
जिंदगी एक मज़ाक है
इसे यूं भी जीना पड़ता है
कड़वी गोली जीभ में धर के
बोलना मीठा पड़ता है।
~यशवन्त यश ©
इसे यूं भी जीना पड़ता है
खुशी को निगलना
गम को पीना पड़ता है
कुछ पाने के लिये
कुछ खोना पड़ता है
जो खो न सके कुछ तो
दर्द को ढोना पड़ता है
यहाँ निशाना भी है
तीर कमान भी है
यहाँ ज़मीन भी है
और आसमान भी है
उड़ते ख्वाब
भटकते अरमान भी हैं
पूरे होने को तरसते
कुछ फरमान भी हैं
ईमान के उर्वर खेतों में
बेईमान को उगना पड़ता है
भरे पेट हो कर भी
हर दाना चुगना पड़ता है
जिंदगी एक मज़ाक है
इसे यूं भी जीना पड़ता है
कड़वी गोली जीभ में धर के
बोलना मीठा पड़ता है।
~यशवन्त यश ©
ज़िन्दगी को यूं ही जीना पड़ता है... क्या करें। बहुत अच्छा लिखा है।
ReplyDeletevery good
ReplyDeleteजिंदगी का अलग ही तरीका....
ReplyDeleteबेहतरीन रचना......
मज़ा हो न हो जिंदगी ऐसे ही जीना पड़ता है ...
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें ....
जिंदगी जैसे भी है इसे जीना पड़ता है ... जहर हो तोभी पीना पड़ता है ... सच लिखा है गहरा सच ...
ReplyDeleteवाह...बेहद सुन्दर प्रस्तुति...बधाई..
ReplyDeleteजिंदगी जैसे भी जीना पड़ता है... बहुत खूबसूरत रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :- 14/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 43 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....
सुंदर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteजिंदगी पानी का बूंद है ,धरा में बहती है -सुन्दर रचना
ReplyDeleteनई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
ReplyDeleteज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं यशवंत....:)....अलबत्ता रचना खूब है .....!!!!!