जो अनजान हैं कुछ उन से, मुलाकातें भी ज़रूरी हैं
तारीफ़ें बहुत मिलीं, सबकी शिकायतें भी ज़रूरी हैं
इस धोखे में था अब तक, कि सब कुछ सही है
कहता सुनता जो मन की, दोस्त अपना वही है
जो आँखें बंद थीं, उनका अब खुलना भी ज़रूरी हैं
सब गैर भी अपने हैं, उनकी शिकायतें भी ज़रूरी हैं
~यशवन्त यश©
[ एक दोस्त के फेसबुक स्टेटस से प्रेरित ]
सटीक भाव..
ReplyDeleteतारीफ तो बहुत मिली शिकायते भी जरुरी है....
सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत खूब !
ReplyDeleteSo true... lovely line
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ! सार्थक सटीक सत्य वचन !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeletebahut sahi kaha aapne sunder likha hai
ReplyDeletebadhai
rachana
हार्दिक शुभ कामनाएँ
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत सो लिए. स्वप्नों में भी बहुत खो लिए, जगना बहुत जरूरी है..सुंदर भाव !
ReplyDeletewaah bahut khoob
ReplyDeleteshubhkamnayen
सुन्दर.....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है.
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteshikayetein bahut jaruri hain.......:-)
ReplyDeletesarthak rachna........