हर कोई है यहाँ
अपने मे मशगूल
किसी को बीता कल याद है
और कोई
आज मे ही आबाद है
कोई डूबा है
आने वाले कल की चिंता में
कोई बेफिकर
देखता जा रहा है
मिट्टी के पुतलों के भीतर
छटपटाती आत्माओं की
बेचैनी ।
हाँ
हर कोई है यहाँ
मशगूल
बदलते वक्त के साथ
दर्पण में
खुद की बदलती
तस्वीर देखने में
पर सच तो यही है
कि इन तस्वीरों का यथार्थ
दिल दिमाग के
बदलने पर भी
नहीं बदलता
रंग रूप की तरह।
~यशवन्त यश©
अपने मे मशगूल
किसी को बीता कल याद है
और कोई
आज मे ही आबाद है
कोई डूबा है
आने वाले कल की चिंता में
कोई बेफिकर
देखता जा रहा है
मिट्टी के पुतलों के भीतर
छटपटाती आत्माओं की
बेचैनी ।
हाँ
हर कोई है यहाँ
मशगूल
बदलते वक्त के साथ
दर्पण में
खुद की बदलती
तस्वीर देखने में
पर सच तो यही है
कि इन तस्वीरों का यथार्थ
दिल दिमाग के
बदलने पर भी
नहीं बदलता
रंग रूप की तरह।
~यशवन्त यश©
hmmmm ... philosophy ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteTHIS IS THE REALITY OF LIFE .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (10-03-2014) को आज की अभिव्यक्ति; चर्चा मंच 1547 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच कहा अहि ... नहीं बदलता स्वार्थी चेहरा ..
ReplyDeleteभीतर कुछ है जो कभी नहीं बदलता...
ReplyDeleteबहुत सुंदर और ससक्त रचना ...
ReplyDeleteजीवन कि लकीरों को उकेरती कहानी
ReplyDeleteयही तो है इस जीवन की असली सच्चाई .... सुन्दर रचना … हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeletewow......bahut hi achchi rachna
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