अच्छा ही है
मन का थम जाना
कभी कभी
शून्य हो जाना
शब्दों का
कहीं खो जाना
कल्पना का
और यहीं कहीं
किसी किनारे पर
रुक कर सुस्ताना
बहती धारा का ....
टकरा टकरा कर
कितने ही पत्थरों को
अस्तित्वहीन कर देने के बाद
कितने ही प्यासे हलक़ों मे उतर कर
जीवन देने के बाद
अच्छा ही है
एक करवट ले कर
सो जाना
खो जाना
भविष्य की यात्रा
और नए पड़ावों के
सुनहरे सपनों मे ।
~यशवन्त यश©
मन का थम जाना
कभी कभी
शून्य हो जाना
शब्दों का
कहीं खो जाना
कल्पना का
और यहीं कहीं
किसी किनारे पर
रुक कर सुस्ताना
बहती धारा का ....
टकरा टकरा कर
कितने ही पत्थरों को
अस्तित्वहीन कर देने के बाद
कितने ही प्यासे हलक़ों मे उतर कर
जीवन देने के बाद
अच्छा ही है
एक करवट ले कर
सो जाना
खो जाना
भविष्य की यात्रा
और नए पड़ावों के
सुनहरे सपनों मे ।
~यशवन्त यश©
ऐसे ठहराव वाले पड़ाव आगे की राह रौशन करते हैं.... सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ।
ReplyDeleteऐसे ही कुछ पल बहुत ज़रूरी होते हैं जीवन में स्फूर्ति लाने के लिए .. सुन्दर रचना …
ReplyDeleteक्या बात है यश जी।बहुत खूब। यही जीवन का यथार्थ है। सार्थक और महत्वपूर्ण शब्द।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत खूब यश जी
अच्छा ही है शब्दों का खो जाना पर सपनों के लिए नहीं जगने के लिए ...नये पड़ाव नहीं आते एक चक्र ही चलता रहता है इस बात को जग कर देखने के लिए...
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 13/07/2014 को "तुम्हारी याद" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1673 पर.
ReplyDeleteachchha hi hai...ek karvat lekar, so jaana, kho jaana...bhavishya ki yaatra aur naye padaavon ke sunahre sapno mein..bahut khoob !
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