बने रहो पगला
काम करेगा अगला की
तर्ज़ पर
'बैल बुद्दि' वाले
कुछ लोग
अपने प्रतिउत्तरों से
निरुत्तर करने की बजाय
खेल जाते हैं
उल्टे दांव।
ऐसे कुछ लोग
न जाने
किस सोच मे डूबे हुए
सिर्फ खुद को सही
और ज्ञाता मानते हुए
अपने पूर्वानुमानों को ही
सबसे सही बताते हुए
बस किसी तरह ही
रख पाते हैं काबू
अपने भीतर के शैतान को।
'बैल बुद्दि' वाले
कुछ लोग
मजबूर होते हैं
अपनी आदतों
और आनुवंशिकी
संस्कारों से
जिनको बदल पाना \
हो नहीं सकता
कभी भी
किसी भी तरह
संभव।
.
-यश©
काम करेगा अगला की
तर्ज़ पर
'बैल बुद्दि' वाले
कुछ लोग
अपने प्रतिउत्तरों से
निरुत्तर करने की बजाय
खेल जाते हैं
उल्टे दांव।
ऐसे कुछ लोग
न जाने
किस सोच मे डूबे हुए
सिर्फ खुद को सही
और ज्ञाता मानते हुए
अपने पूर्वानुमानों को ही
सबसे सही बताते हुए
बस किसी तरह ही
रख पाते हैं काबू
अपने भीतर के शैतान को।
'बैल बुद्दि' वाले
कुछ लोग
मजबूर होते हैं
अपनी आदतों
और आनुवंशिकी
संस्कारों से
जिनको बदल पाना \
हो नहीं सकता
कभी भी
किसी भी तरह
संभव।
.
-यश©
सुन्दर।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (17-07-2017) को "खुली किताब" (चर्चा अंक-2669) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति
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