अनेकों
औपचारिकताओं के
लबादे में
ढँके-छुपे कुछ लोग
सिर्फ चाह में रहते हैं कि
बने रहें अच्छे
और सच्चे
औरों की निगाहों में ;
लेकिन;
भूल जाते हैं
कि उनके चेहरे पर लगा
आदर्शवादी मुखौटा
देर से ही सही
पर
जब हटता है
तब साफ दिखने लगते हैं
वो तमाम कील और मुँहासे
जिनसे रिसता है
उनके वास्तविक सच
और चरित्र का मवाद।
अपने 'अभिनय' से
सबको कायल करने वाले
ऐसे लोग
समय रहते ही
पहचान में आ तो जाते हैं
मगर
पहचानने वाले भी
छू लेने देते हैं
उन्हें उनका फ़लक
क्योंकि
ऊंचाई से गिरने पर
शर्मिंदा अर्श भी
कर लेता है
खुद को और भी कठोर
ताकि
वो कर सकें
एहसास
खुद के दिल
और दिमाग पर पुती
कालिख के
गहरेपन का।
~यश©
15/10/2018
औपचारिकताओं के
लबादे में
ढँके-छुपे कुछ लोग
सिर्फ चाह में रहते हैं कि
बने रहें अच्छे
और सच्चे
औरों की निगाहों में ;
लेकिन;
भूल जाते हैं
कि उनके चेहरे पर लगा
आदर्शवादी मुखौटा
देर से ही सही
पर
जब हटता है
तब साफ दिखने लगते हैं
वो तमाम कील और मुँहासे
जिनसे रिसता है
उनके वास्तविक सच
और चरित्र का मवाद।
अपने 'अभिनय' से
सबको कायल करने वाले
ऐसे लोग
समय रहते ही
पहचान में आ तो जाते हैं
मगर
पहचानने वाले भी
छू लेने देते हैं
उन्हें उनका फ़लक
क्योंकि
ऊंचाई से गिरने पर
शर्मिंदा अर्श भी
कर लेता है
खुद को और भी कठोर
ताकि
वो कर सकें
एहसास
खुद के दिल
और दिमाग पर पुती
कालिख के
गहरेपन का।
~यश©
15/10/2018
सटीक
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