सबक ज़िंदगी के
यूं हर रोज़ मिलते हैं
बिछड़ने के लिए यहाँ
कुछ लोग मिलते हैं।
कुछ पल का हँसना
कुछ पल का मुस्कुराना
कुछ पल गले लगाना
कुछ पल साथ निभाना।
न मालूम किस नशे में
दो अनजान मिल कर
काँच के से नाज़ुक
कुछ सपनों को बुन कर।
कभी खाते हैं कसमें
कभी हर वादा तोड़ते हैं
बिछड़ने के लिए ही यहाँ
कुछ लोग मिलते हैं।
-यश©
15/11/2011
यही जिन्दगी है। सुन्दर।
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