खबर की तलाश में,बन गया खबर ही खुद
बा खबर था लापता, बे खबर रहा न कुछ।
बात कोई नयी कहते हुए,काँटों पर चलते हुए
फूलों पर सोते हुए, नये ख्वाब कुछ बुनते हुए।
बूझता पहेलियाँ रहा, खुद के अक्स पर छपता रहा
अँधेरों में भटकता रहा, हर शख्स को खटकता रहा।
हल की तलाश में, मिल रहा छल-बल न खुद
बेहाल हो कर गिर पड़ा,ताबूत में मिला न कुछ।
.
-यश ©
22/12/2018
बा खबर था लापता, बे खबर रहा न कुछ।
बात कोई नयी कहते हुए,काँटों पर चलते हुए
फूलों पर सोते हुए, नये ख्वाब कुछ बुनते हुए।
बूझता पहेलियाँ रहा, खुद के अक्स पर छपता रहा
अँधेरों में भटकता रहा, हर शख्स को खटकता रहा।
हल की तलाश में, मिल रहा छल-बल न खुद
बेहाल हो कर गिर पड़ा,ताबूत में मिला न कुछ।
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-यश ©
22/12/2018
बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
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