नहीं चाहता बताना
नहीं चाहता समझाना
कि इस दौर में
आखिर इतना उलझा हुआ
क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
ये जो संगीत की लहरें
गुजर रही हैं
कानों से मन के भीतर
साथ हैं मेरे फिर भी तन्हा सा
क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
यूं लिखते-लिखते
पढ़ते-पढ़ते
सब समझते-बूझते
आखिर ना-समझ इतना
बनता क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
दिखते हैं सब अपने
लेकिन पराए ही हैं
बेमतलब के रिश्तों में
फँसता ही क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
-यशवन्त माथुर ©
02092020
नहीं चाहता समझाना
कि इस दौर में
आखिर इतना उलझा हुआ
क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
ये जो संगीत की लहरें
गुजर रही हैं
कानों से मन के भीतर
साथ हैं मेरे फिर भी तन्हा सा
क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
यूं लिखते-लिखते
पढ़ते-पढ़ते
सब समझते-बूझते
आखिर ना-समझ इतना
बनता क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
दिखते हैं सब अपने
लेकिन पराए ही हैं
बेमतलब के रिश्तों में
फँसता ही क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
-यशवन्त माथुर ©
02092020
सुन्दर और सारगर्भित रचना।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-09-2020) को "पहले खुद सागर बन जाओ!" (चर्चा अंक-3814) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteदिखते हैं सब अपने
ReplyDeleteलेकिन पराए ही हैं
बेमतलब के रिश्तों में
फँसता ही क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ
यही फलसफा है जीवन का ...और इस मन का...
लाजवाब सृजन।
सुंदर रचना।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआ यशवंत माथुर जी, भावात्मक अभिव्यक्ति! सुंदर रचना!
ReplyDeleteदिखते हैं सब अपने
लेकिन पराए ही हैं
बेमतलब के रिश्तों में
फँसता ही क्यूँ हूँ
बस मन का एक कोना है
और मैं हूँ।
हार्दिक साधुवाद!
मैंने आपका ब्लॉग अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग "marmagyanet.blogspot.com" अवश्य विजिट करें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं। सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ
भावुकता से परिपूर्ण रचना।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबस मन का एक कोना है और मैं हूँ!!!
ReplyDeleteयही शांतिमय जीवन का सार है। सुंदर रचना।
भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteएक विशेष मानसिक द्वंद्व को दर्शाती रचना...
ReplyDeleteबड़ी सारगर्भित अभिव्यक्ति है यह यशवन्त जी । जब कोई सुनने वाला न हो तो किसे बताया जाए और जब कोई समझने वाला न हो तो किसे समझाया जाए ?
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