अंधेरा कितना भी हो
उजियारा होना ही है
सुई रुक भी जाए
घड़ी को बदलना ही है।
कहीं ढलती शाम होगी
इस समय
कहीं सूरज को किसी ओट से
उगना ही है।
यहाँ सर्द हवा है, धुंध है
लेकिन
छँटेंगे बादल फिर धूप को
निकलना ही है।
यह दौर काँटों का है
माना, फिर भी
फूलों की हर कली को
रोज़ खिलना ही है।
टूटते-टूटते भी बाकी है
एक उम्मीद इतनी सी-
कोहरा कितना भी हो
जीवन को चलना ही है।
(नववर्ष 2021 सबके लिये शुभ और मंगलमय हो )
01012021
हाँ यशवंत जी । सच कहा आपने । जीवन को तो चलना ही है । रात गई फिर दिन आता है, इसी तरह आते-जाते ही यह सारा जीवन जाता है । समय भला किसके लिए रुकता है ?
ReplyDeleteबहुत सुंदर l
ReplyDeleteआपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं l
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनववर्ष की यही मंगलकामनाएं करते हैं कि ....
नव वर्ष में नव पहल हो
कठिन जीवन और सरल हो
नए वर्ष का उगता सूरज
सबके लिए सुनहरा पल हो
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२-०१-२०२१) को 'जीवन को चलना ही है' (चर्चा अंक- ३९३४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बहुत सुन्दर और सारगर्भित।
ReplyDeleteनव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआशा और विश्वास का संदेश देती सुंदर रचना !
ReplyDeleteआशा का संचार करने वाली इस कविता के लिए हार्दिक बधाई 🙏🏻🌺🙏🏻
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो.
🌷🍁☘️🍁🌷
सुन्दर सृजन - - नूतन वर्ष की असीम शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह , बहुत खूब !
ReplyDeleteवाह , बहुत खूब !
ReplyDeleteआमीन ... आगत का स्वागत तो करना ही है ...
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो ...
सुंदर।
ReplyDeleteसारगर्भित रचना।
नववर्ष की अशेष शुभकामनाओं के साथ।
सादर।
टूटते-टूटते भी बाकी है
ReplyDeleteएक उम्मीद इतनी सी-
कोहरा कितना भी हो
जीवन को चलना ही है।
आशा का संचार करती सुंदर रचना।
कोहरा कितना भी हो
ReplyDeleteजीवन को चलना ही है।
सही कहा जीवन चलना ही है और समय भी किसी के लिए कब रुकता है...
बहुत सुन्दर सार्थक सृजन ।
नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं।
सुन्दर।
ReplyDeleteसारगर्भित संदेश देती रचना..
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteअनुकरणीय
ReplyDeleteकब्र पर फूल खिल जाते हैं
ReplyDeleteजीवन का मूल हमेशा चलता रहता है
थमते है जीव मात्र,अनवरत है जीवन
बस रूप बदलता है,जीवन चलता रहता है..
आपको समर्पित