इस कलियुग में किस्मत के
सब खेल निराले होते हैं
खुशियाँ उनको मिलती हैं
जो दिल के काले होते हैं।
जिनके मन की गहरी नफरत
जब-तब रंग दिखाती है
बदज़ुबानी बाहर आकर
अपना असल दिखाती है।
बेईमानी और कपट ही जिनकी
हर रात के उजाले होते हैं
खुशियाँ उनको मिलती हैं
जो दिल के काले होते हैं।
जिनके उसूल टंगे दीवारों पर
श्रद्धा-सुमन को तरसते रहते
शीशे के गलियारों में
सज कर समय संजोते रहते ।
चार दिन की चाँदनी में जो
खूब मतवाले होते हैं
खुशियाँ उनको मिलती हैं
जो दिल के काले होते हैं।
02082021
चाहे कोई इसे स्वीकार करे चाहे न करे, है तो यह सच यशवंत जी। दिल के उजले लोगों के मुक़द्दर में तो ग़म और तक़लीफ़ों की ही भरमार होती है।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३०-०८-२०२१) को
'जन्मे कन्हैया'(चर्चा अंक- ४१७२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह! क्या बात है । बहुत ही बढ़िया कहा । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत खूब खरी खरी बात ,आज सचमुच ऐसा ही देखने-सुनने को मिल रहा है।
ReplyDeleteसटीक तंज।
पर उनकी खुशियाँ ज्यादा देर टिक नहीं पातीं ...
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