तुम जैसा
बनने की कोशिश
करता हूँ
कभी कभी
तुम जैसा
उठने की कोशिश
करता हूँ कभी कभी
मैं तुम को
पाना चाहता हूँ
छूना चाहता हूँ
जितनी कोशिश करता हूँ
तुम और ऊंचे उठ जाते हो
हो जाते हो
मेरी पहुँच से
बहुत दूर
ताकते रह जाना है
तुम को
यूँ ही
हमेशा
क्योंकि -
मैं ज़मीं
और तुम आसमां हो .
बनने की कोशिश
करता हूँ
कभी कभी
तुम जैसा
उठने की कोशिश
करता हूँ कभी कभी
मैं तुम को
पाना चाहता हूँ
छूना चाहता हूँ
जितनी कोशिश करता हूँ
तुम और ऊंचे उठ जाते हो
हो जाते हो
मेरी पहुँच से
बहुत दूर
ताकते रह जाना है
तुम को
यूँ ही
हमेशा
क्योंकि -
मैं ज़मीं
और तुम आसमां हो .
मैं तुम को
ReplyDeleteपाना चाहता हूँ
छूना चाहता हूँ
जितनी कोशिश करता हूँ
तुम और ऊंचे उठ जाते हो
हो जाते हो
मेरी पहुँच से
बहुत दूर
बहुत भावपूर्ण कविता .बधाई.
ताकते रह जाना है
ReplyDeleteतुम को
यूँ ही
हमेशा
क्योंकि -
मैं ज़मीं
और तुम आसमां हो .
सुंदर आशा से सजी अभिव्यक्ति ...!!
sunder rachna ...!!
सुन्दर ....
ReplyDeleteमैं ज़मीं
और तुम आसमां हो.... .
कैसे होगा ये मिलन
मैं ज़मीं
ReplyDeleteऔर तुम आसमां हो .बहुत खूब…… क्षितिज भी तो है… सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद
बहुत खूब! सुन्दर भावपूर्ण रचना...दूर क्षितिज में ज़मीन और असमान के मिलने का भ्रम भी जीवन में कुछ क्षण सुकून के देने के लिये काफी है..
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDER BHAVPOORAN RACHNA YASHWANT BHAI
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ! क्षितिज तो एक भ्रम है पर ऊँचा उठने की चाह हो तो आसमान कदमों तले बिछ जाता है ...
ReplyDeletevery beautifully showing the intricate desires of our lives.... some are achievable and few are just meant to be desires !!!
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
ReplyDeleteवाह...बहुत सुन्दर रचना...बधाई
ReplyDeleteनीरज
बहुत ही सुन्दर रचना...बधाई
ReplyDeleteवाह। शानदार। पर आसमान और जमीन का भी मिलन होता है क्षितिज पर। आभार।
ReplyDeleteरचना अच्छी लगी।
ReplyDeleteताकते रह जाना है
ReplyDeleteतुम को
यूँ ही
हमेशा
क्योंकि -
मैं ज़मीं
और तुम आसमां हो .
बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं .....
बहुत सुंदर भाव, अच्छी रचना !
ReplyDeleteपा लो खुद को तो सारा जहां मिल जाता है ...
भावों को खूबसूरती से सहेजा है ..
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना,... उम्दा...आपके ब्लॉग में आना सार्थक हुवा...
ReplyDeleteआसमान और जमीन का भी मिलन होता है क्षितिज पर,
ReplyDeleteसुन्दर रचना
तब तो सिर्फ देखने के लायक ! बहुत गर्भित !
ReplyDeleteमैं तुम को
ReplyDeleteपाना चाहता हूँ
छूना चाहता हूँ
जितनी कोशिश करता हूँ
तुम और ऊंचे उठ जाते हो
हो जाते हो
मेरी पहुँच से
बहुत दूर... bhut hi khubsurat ehsaaso ko vaykat kiya hai apne...
संगीत के साथ कविता पढने का सुखद अनुभव ........शुक्रिया.(मै अभी तक नहीं कर पाई हू फिर से सिखाना होगा )
ReplyDeleteachhi rachna hai bahut sunder....
ReplyDeleteप्यार की सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
ReplyDeleteखूबसूरत भावभूमि पर लिखी गयी एक बहुत ही कोमल रचना ! बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबधाई- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत अच्छा अभिव्यक्त किया है ......जमीं और आस्मां क्षितिज पर मिल जाने का भरम तो दे ही जाते हैं ...... शुभकामनायें !
ReplyDeleteबस ऊंचा उठने की चाह बनी रहे तो आसमान और जमीन का भी मिलन होता है क्षितिज पर......... सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत प्यारा है ये अंदाजे बयां।
ReplyDelete---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
गहन अनुभूति, सुंदर चित्रण।
ReplyDelete---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
बहुत खूब कहा है आपने ।
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteखूबसूरत....... कोमल रचना
ReplyDelete