जैसे
आसमान पर छाए बादल
कभी छंटते हैं
गहराते हैं
वैसे ही मन के ऊपर
कुछ विचार
आते जाते हैं ....
अपनी सीमित
सोच के दायरे में
अपने विस्तार में
शब्दों की आकृतियाँ
ले ले कर
फूलों के रंग में रंग कर
काँटों सा तीखा चुभ कर
भविष्य को
गर्भ में लिए
कभी स्मृति शेष बन कर
विशेष से बन जाते हैं
जब कुछ विचार
आते जाते हैं।
~यशवन्त यश©
आसमान पर छाए बादल
कभी छंटते हैं
गहराते हैं
वैसे ही मन के ऊपर
कुछ विचार
आते जाते हैं ....
अपनी सीमित
सोच के दायरे में
अपने विस्तार में
शब्दों की आकृतियाँ
ले ले कर
फूलों के रंग में रंग कर
काँटों सा तीखा चुभ कर
भविष्य को
गर्भ में लिए
कभी स्मृति शेष बन कर
विशेष से बन जाते हैं
जब कुछ विचार
आते जाते हैं।
~यशवन्त यश©
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