कफन पर 'प्यार' लिख कर वो, वतन पर मर-मिट जाते हैं।
एक हम ही हैं जो अपनी चादर में, और सिमट ही जाते हैं।
यह युद्ध नहीं फिर भी आखिर क्यूँ, लम्हे ऐसे आते-जाते?
अपनी सीमा के भीतर ही क्यूँ, कतरे लहू के बहते जाते ?
यह अंत नहीं आरम्भ है बंधु! अब और शहीद न होने देंगे ।
हिन्द का एक मजहब है सेना,अब इसको और न खोने देंगे ।
.
पुलवामा के शहीद सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि!
-यश ©
14/02/2019
एक हम ही हैं जो अपनी चादर में, और सिमट ही जाते हैं।
यह युद्ध नहीं फिर भी आखिर क्यूँ, लम्हे ऐसे आते-जाते?
अपनी सीमा के भीतर ही क्यूँ, कतरे लहू के बहते जाते ?
यह अंत नहीं आरम्भ है बंधु! अब और शहीद न होने देंगे ।
हिन्द का एक मजहब है सेना,अब इसको और न खोने देंगे ।
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पुलवामा के शहीद सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि!
-यश ©
14/02/2019
बहुत प्रेरक और सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteश्रद्धाँजलि वीरों को।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteसार्थक रचना
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