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09 August 2020

चाहता हूँ अब प्रलय आए

कुछ ऐसा हो
जो दिल दहलाए
धरती गगन समंदर
सब हिल जाए
 चाहता हूँ
अब प्रलय आए।

ठौर बदलते इस
बुरे दौर का
जलता दीपक
अब बुझ जाए
 चाहता हूँ
अब प्रलय आए।

कोई नहीं
भरोसे जैसा
धोखे का
निशाँ  मिट जाए
चाहता हूँ
अब प्रलय आए।

-यशवन्त माथुर ©
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