न हम होंगे न हमारी बात होगी
हर तरफ पानी से घिरी आग होगी
होगी एक बेचैनी ?
आग पानी में मिल जाएगी
या फिर
पानी को ही जला कर
मिटटी में मिला जाएगी
दुनिया देखती रहेगी
खड़े हो कर तमाशा
न सुबह होगी न दोपहर
न फिर रात ही कभी आएगी।
न हम होंगे न हमारी बात होगी
हर तरफ पानी से घिरी आग होगी
होगी एक बेचैनी ?
आग पानी में मिल जाएगी
या फिर
पानी को ही जला कर
मिटटी में मिला जाएगी
दुनिया देखती रहेगी
खड़े हो कर तमाशा
न सुबह होगी न दोपहर
न फिर रात ही कभी आएगी।
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
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