-YashwantMathur©
प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©
इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।
16 March 2023
#Moon _ Some clicks by me

13 March 2023
सुनो ....... 3
सुनो!
उस दिन तुमने कहा था ना .....कि मैं जलता हूँ। ....मैं चुप रहा था..... इसलिए नहीं..... कि मेरे पास जवाब नहीं था बल्कि.... इसलिए ....कि मैं चाहता था..... कि उस दिन जीत तुम्हारी हो।
वैसे गलत तुमने कुछ कहा भी नहीं। पता है क्यों?.... क्योंकि मैं जलता हूँ ...हाँ मैं जलता हूँ ...आसमां में चमकते सूरज को देखकर ......मुझे होती है जलन.... कि मैं रोशनी नहीं दे सकता। ....... रात को चमकते चाँद को देख कर भी जलता हूँ ..... कि चाँदनी रात का खूबसूरत मुहावरा बनना ......मैं अपने प्रारब्ध से लिखवाकर नहीं लाया ........और हाँ जलाती तो मुझे मावस की रात भी है...... क्योंकि सिर्फ वही साक्षी होती है.... तुम्हारे हर सुख...... हर दुख की।
सुनो!
मैं हर स्याह कमरे में ......दीये की हर बाती से जलता हूँ ....हर काजल से जलता हूँ ......हर उस शेष-अवशेष से जलता हूँ .....जो सहभागी होता है........तुम्हारी हर कदम-ताल का। ...... इस जलन का ......कारण!.... सिर्फ इतना..... कि मुझे राख बनने में ....अभी सदियाँ बाकी हैं।
13032023

09 March 2023
#sunset a few clicks by me

Subscribe to:
Posts (Atom)
Popular Posts
-
दिन भर घर के बाहर की सड़क पर खूब कोलाहल रहता है और सांझ ढलते सड़क के दोनों किनारों पर लग जाता है मेला सज जाती हैं दुकानें चाट के ठेलों...
-
इधर कुछ दिनों से पापा ने सालों से सहेजी अखबारी कतरनों को फिर से देखना शुरू किया है। इन कतरनों में महत्त्वपूर्ण आलेख और चित्र तो हैं ही साथ ह...
-
जीवन के अनवरत चलने के क्रम में अक्सर मील के पत्थर आते जाते हैं हम गुजरते जाते हैं समय के साथ कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हैं कभी शून्य से...
-
खबर वह होती है जो निष्पक्ष तरीके से सबके सामने आए और पत्रकारिता वह है जो जिसमें सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस हो। जिसमें कुछ भी छुपा...
-
बोल निराशा के, कभी तो मुस्कुराएंगे। जो बीत चुके दिन, कभी तो लौट के आएंगे। चलता रहेगा समय का पहिया, होगी रात तो दिन भी होगा। माना कि ...
-
इसके पहले कैसा था इसके पहले ऐसा था वैसा था, जैसा था थोड़ा था लेकिन पैसा था। इसके पहले थे अच्छे दिन कटते नहीं थे यूँ गिन-गिन। इसके प...
-
कुछ लोग जो उड़ रहे हैं आज समय की हवा में शायद नहीं जानते कि हवा के ये तेज़ झोंके वेग कम होने पर जब ला पटकते हैं धरती पर तब कोई नहीं रह प...
-
हम सिर्फ सोचते रह जाते हैं ख्यालों के बादल आ कर चले जाते हैं Shot by Samsung M30s-Copyright-Yashwant Mathur© मैं चाहता हूँ...
-
फ्यू चर ग्रुप की बदहाली की खबरें काफी दिन से सुनने में आ रही हैं और आज एक और खबर सुनने में आ रही है कि आई पी एल 2020 की एसोसिएट -स्पॉन्स...
-
किसान! खून-पसीना एक कर दाना-दाना उगाता है हमारी रसोई तक आकर जो भोजन बन पाता है इसीलिए कभी ग्राम देवता कभी अन्नदाता कहलाता है लेकिन ...