माई डियर मैं,
कहीं तुम तो बौराये हुए नहीं हो?मुझे कुछ शक है वो इसलिए कि इस बार आम यूँ तो देर से बौराया है लेकिन अपने से श्रेष्ठ खास लोगों की तरह कहीं तुम जैसा आम न बौरा गया हो इस होली पर.वैसे एक बात तो है तुम आम हो ही नहीं सकते क्यों कि देखने में तुम सूखी पतली सी डंडी को भी पीछे छोड़ देते हो ; खाने पीने की तुम्हें कोई कमी नहीं है पर तुम तो यार बस तुम ही हो. तुम खास भी नहीं हो सकते जो भी लिखते हो ,बोलते हो सिरे से बकवास है हाँ तुम्हारी किस्मत कुछ खास है कि इतने अच्छे अच्छे लोग तुम्हारे साथ हैं.लेकिन मेरी भी खासियत देखो मुझे लगता है मैं तुम्हारी खिंचाई कुछ अच्छी तरह से कर सकता हूँ.
और बताओ क्या हो रहा है? मैं जानता हूँ तुम यही कहोगे कुछ खास नहीं.हाँ जो खास नहीं वो खास कर भी कैसे सकता है.और हाँ कभी अपने को खास समझने की गलती करना भी मत देख रहे हो न भारत की करकट;ओह्ह माफ करना क्रिकेट टीम को .दुनिया की सबसे खास बैटिंग टिकी हुई है सिर्फ दो खास पर सचिन और सहवाग पर और साढे ग्यारह (सारे ग्यारह)अपने को पूरे बारह समझने लग रहे हैं.कहीं तुम यही न कर बैठना .दो बकवास में एक खास के आनुपातिक समीकरण से लिखते चलते हो और समझते हो अपने को राजा.जबकि असलियत में तुम अपना ही बाजा बजा रहे होते हो.अरे राजा समझना ही है तो ए राजा को समझो और सीखो .लेकिन सब बेकार है तुम्हारे आगे-एक कार तो है नहीं तुम्हारे पास.
खैर मैं अब तुम को और नहीं झेलाउँगा.एक काम करो यहाँ से निकल चलो .कहीं ऐसा न हो इस होली पर रंग के बजाये तुम को सड़े टमाटर ईमेल और टिप्पणी से भेजे जाएँ और तुम गाने लगो -
मैंने सोचा न था ...मैंने सोचा न था ...
अपना ख्याल रखना.
होली की शुभ कामनाओं के साथ -
तुम्हारा अपना
मैं