प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

15 October 2016

कुछ लोग-37

कुछ लोग
कुछ लोगों को समझ कर
खुद से नीचा
और खुद को
ऊंचा मान कर
न जाने किस गुमान में
हरदम खोए रह कर
सोए रहते हैं
गहरी नींद में
जो जब टूटती है
तब एहसास दिलाती है
उस अंतर का
जो होता है
घमंड
और स्वाभिमान में
शैतान
और इंसान में
पर उस अंतर को समझने में
हो जाती है कभी कभी देर
कि बस अपने अंधेरे में
खोए रह जाते हैं
कुछ लोग
हमेशा के लिए।

~यशवन्त यश ©

11 October 2016

समय की धारा


समय की धारा
तेज़ी से चलते चलते
अपने साथ बहा लेती है
बहुत से कल और आज को
भूत और वर्तमान को
सैकड़ों अवरोधो को भेद कर
कितनी ही बातों को
खुद में समेट कर
थोड़ी रेत का ढेर बन कर
कुछ रुकती है
थमती है
और फिर चलती है
समय की धारा
अपनी अबूझ
मंज़िल की ओर।
 
~यशवन्त यश©
+Get Now!