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17 July 2022

सड़क



लगता है
सड़क
सड़क नहीं, नदी है! 
जिस पर चलने वाले वाहन, 
पानी का सैलाब हैं। 
कहीं किसी किनारे खड़े 
हम जैसे लोगों को भी 
इन लहरों का हिस्सा बन कर 
चाहे अनचाहे 
मिल ही जाना होता है जीवन चक्र में;
हमेशा से हमेशा ही।

-यशवन्त माथुर©
14072022 

09 July 2022

सोचता हूँ ......


सोचता हूँ 
जीवन के हर सूक्ष्म 
या सूक्ष्मतम पल पर 
हमारे चेतन या अवचेतन में 
पलने वाली 
हर दुआ-बददुआ का 
अंततः क्या होता होगा?
कुछ को तो हम 
देख ही लेते हैं 
प्रत्यक्ष 
फलीभूत होते हुए 
और कुछ की 
युगों जैसी 
प्रतीक्षा करते हुए 
निकल पड़ते हैं 
शून्य से शून्य की 
अनंत यात्रा पर 
सब कुछ छोड़ कर 
सब कुछ भूल कर 
सिर्फ 
प्रारब्ध की 
उस बड़ी सी 
पोटली के साथ 
जिसकी हर तह में 
हिसाब होता है 
दुआ और बददुआ के 
हर छोटे-बड़े 
व्यापार का। 

-यशवन्त माथुर©
09072022
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