शायद मुझ को भुला कर
तुमने लगा दिया है
मेरे आस्तित्व पर
प्रश्नचिह्न
और मैं
खुद को
आईने में देख कर
पूछ रहा हूँ
मैं कौन हूँ?
तुमने लगा दिया है
मेरे आस्तित्व पर
प्रश्नचिह्न
और मैं
खुद को
आईने में देख कर
पूछ रहा हूँ
मैं कौन हूँ?
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
kya kahu???????? sabd nhi hai..bhut emotinal panktiya hai...
ReplyDeleteसुंदर ... ऐसा समय भी आ जाता है....
ReplyDeletebahut hi badhiyaa
ReplyDeleteक्या बात है...यशवंत जी...आपने तो बहुत ही कम शब्दों में बड़ी गुढ़ और प्रेममयी भावसरिता बहा दी...बहुत सुंदर।
ReplyDeleteअति सुन्दर.............
ReplyDeleteनिशब्द हूँ।
ReplyDeleteअति सुन्दर| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
ReplyDeleteअति सुन्दर...........
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग पर आयी..
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी..
ऐसे प्रश्नचिन्ह कई बार लग जाते हैं जिन्दगी में...!
बहुत सुंदर....
ReplyDeleteyahi to savaal hai laakh take kaa ,kaun hai ham....
ReplyDeleteमुझ को भूल कर ही
ReplyDeleteअस्तित्वमयी कर दिया मुझको
तुम्हारी इन्कार ही स्वीकार कर
तुमसा ही बना गयी मुझको ......
बहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर. आम तौर पर सबने ये सवाल खुद से पूछा ही होगा, कभी न कभी.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeleteआंतरिक पीड़ा की सहज अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेवजह तो खुद से सवाल तो नही करते हैं लोग ..
ReplyDeleteजिन्दगी कई बार हमे ही हमारे सामने खड़ा कर देती है
बहुत गहरी अभिव्यक्ति ...और उतने ही सुन्दर शब्द |
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
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