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26 January 2015

जैसा भी है देश है मेरा .......

एक तरफ रातें काली हैं
एक तरफ है उजला सवेरा
झोपड्पट्टी की बस्ती में
मैले कुचलों का है डेरा
जैसा भी है देश है मेरा .....

कहीं दीवारों में दरारें
कही ऊंची खड़ी मीनारें 
मखमल के पर्दों के पीछे
अशर्फ़ियों का बना बसेरा
जैसा भी है देश है मेरा .......

जन तो चलता
सड़क पर पैदल
तंत्र को लेकर
चलती  'ट्वेरा'
जैसा भी है देश है मेरा .....

भले नहीं लंगोट मयस्सर 
भले फुटपाथ पे अपना रेला
जैसा भी है देश है मेरा
जैसा भी है वेश है मेरा  ।

गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !

~यशवन्त यश©

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