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29 September 2021

ख्याल....

ख्याल भी ऐसे ही होते हैं
जज़्बात भी ऐसे ही होते हैं
आसमान में उड़ते
जहाज़ की तरह
कभी नापते हैं
सोच, ख्यालों और
उद्गारों की
अनंत ऊंचाई को
और कभी
धीरे-धीरे
अपनी सतह पर
वापस आकर
तैयार होने लगते हैं
फिर एक
नई मंजिल की ओर
एक नई परवाज के लिए।
यह चक्र
असीम है
देश,काल
और वातावरण के
बंधनों से मुक्त
हमारे विचार
यूं ही
तैरते-तैरते
या तो तर जाते हैं
या भटकते ही रह जाते हैं
क्षितिज की
परिधि में ही कहीं।

यशवन्त माथुर©
29092021


5 comments:

  1. ख़्यालों की ज़मी की उर्वरता
    परिस्थितियों की नमी पर
    निर्भर है।
    ----
    बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन,
    अंतिम पंक्तियां विशेष अच्छी लगी।
    सादर।

    ReplyDelete
  2. सच कहा यशवंत जी आपने।

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  3. वाह! विचारों की सुंदर उड़ान

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर

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