जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१८-०७ -२०२२ ) को 'सावन की है छटा निराली'(चर्चा अंक -४४९४) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
वाह! अच्छी अभिव्यक्ति
सड़क की नदी से तुलना!अच्छा है!--ब्रजेन्द्र नाथ
कहीं किसी किनारे खड़े हम जैसे लोगों को भी इन लहरों का हिस्सा बन कर चाहे अनचाहे मिल ही जाना होता है जीवन चक्र में;अप्रतिम सृजन।
उम्दा ।
आपकी इस बात को मैंने आपके यूट्यूब चैनल पर भी देखा और सुना यशवंत जी। ठीक ही कहा है आपने। ज़िन्दगी की सच्चाई तो यही है।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१८-०७ -२०२२ ) को 'सावन की है छटा निराली'(चर्चा अंक -४४९४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह! अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसड़क की नदी से तुलना!
ReplyDeleteअच्छा है!--ब्रजेन्द्र नाथ
कहीं किसी किनारे खड़े
ReplyDeleteहम जैसे लोगों को भी
इन लहरों का हिस्सा बन कर
चाहे अनचाहे
मिल ही जाना होता है जीवन चक्र में;
अप्रतिम सृजन।
उम्दा ।
ReplyDeleteआपकी इस बात को मैंने आपके यूट्यूब चैनल पर भी देखा और सुना यशवंत जी। ठीक ही कहा है आपने। ज़िन्दगी की सच्चाई तो यही है।
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