सुनो! एक तिहाई अप्रैल बीतने को है... धूप अपने रंग दिखाने लगी है... बिल्कुल वैसे ही.... जैसे होली के बाद तुम पर भी चढ़ गया है..... बदली संगत का बदला हुआ रंग।
तुमको पता हो या ना हो ...लेकिन ...मुझे हो चुका था पूर्वानुमान.... कि दूरियों के नए बोए हुए बीज नहीं लेंगे... ज्यादा समय अपना रूप बदलने में।
सुनो! जरा याद करो मेरे वो शब्द ....जब मैंने कहा था कि आज जैसा एक दिन आएगा..... और देखो! ...आ भी गया।
09042023
खूबसूरत रचना
ReplyDeleteइसका अर्थ हुआ अपना भाग्य हम ख़ुद ही लिखते हैं
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