मुट्ठी भर दवाएं दर्द मिटा तो सकती हैं, मगर
उस दर्द के कड़वे सबक बाकी रह ही जाते हैं।
यूं हम को लगता है अब चलेंगे सीना तान कर
अनचाहे वक्त की बैसाखी बन ही जाते हैं।
भले बे नतीज़ा रहे आखिरी पल, लेकिन
बनके तस्वीर दीवार पे सज ही जाते हैं।
यशवन्त माथुर
24062023
बहुत खूबसूरत
ReplyDeleteरोग, वृद्धावस्था और मृत्यु तीनों के मर्म को समझाती प्रभावशाली पंक्तियाँ
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