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15 August 2023

प्यासा भूखा पंद्रह अगस्त.........-यश मालवीय ©


सुविख्यात कवि एवं रचनाकार आदरणीय यश मालवीय जी की ताजा कविता

सूखा सूखा पंद्रह अगस्त
प्यासा भूखा पंद्रह अगस्त

मर गया आंख का पानी है
किस्सा किस्सा बलिदानी है
हंसते से महल दुमहले हैं
टूटी सी छप्पर छानी है

पेशानी चिन्ता से गीली
रूखा रूखा पंद्रह अगस्त

फिर संविधान की बातें हैं
भारत महान की बातें हैं
रमचरना का चूल्हा ठंडा
बस आन बान की बातें हैं

वंदन करता आज़ादी का
हारा चूका पंद्रह अगस्त

खादी में सब कुछ खाद हुआ
तब कहीं देश आज़ाद हुआ
कल जिसको गोली मारी थी,
उसका ही ज़िंदाबाद हुआ

फिर घाव पुराना मुंह खोले
दिल में हूका पंद्रह अगस्त

मत कहो इसे सरकारी है
ये तो तारीख़ हमारी है
पर लाल क़िला ख़ुद ख़ून पिए,
जगमग जगमग तैयारी है

ये किसने भाषण में भर भर
मुंह पर थूका पंद्रह अगस्त ।

-यश मालवीय ©

5 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१६-०८-२०२३) को 'घास-फूस की झोंपड़ी'(चर्चा अंक-४६७७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete

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