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07 June 2025

चमकना इतना नहीं चाहता ....................

चमकना इतना नहीं चाहता 
कि चौंधिया जाओ तुम 
बस तमन्ना इतनी है 
कि धरती को छूता रहूँ।  

यूं तलवार की धार पर 
चलता तो रोज ही हूँ 
मगर बनकर  कोई पेड़ 
छाया किसी को देता रहूँ । 

कई चौराहे आ चुके 
कई आने बाकी हैं 
मंजिल को पा सकूँ 
या मंजिल ही बनता रहूँ। 

चमकना इतना नहीं चाहता 
कि चौंधिया जाओ तुम 
बस तमन्ना इतनी है कि 
अपने मूल  में बीतता रहूँ। 


-यशवन्त माथुर©

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